Fisheries: इनोवेशन और प्रौद्योगिकी के माध्यम से मत्स्य उत्पादन बढ़ाने पर जोर

पोषण सुरक्षा, ग्रामीण समृद्धि और स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने में अंतर्देशीय मत्स्य पालन की परिवर्तनकारी भूमिका है. पारंपरिक ज्ञान को इनोवेशन के साथ एकीकृत करने, देशी प्रजातियों को बढ़ावा देने और सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से समुदायों को सशक्त बनाने पर बल दिया गया.

By Anjani Kumar Singh | June 14, 2025 3:56 PM
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Fisheries: मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य पालन विभाग द्वारा “अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि सम्मेलन शुक्रवार को इंदौर में आयोजित किया गया, जिसमें इनोवेशन, तकनीक और प्रौद्योगिकी के माध्यम से मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया गया. सम्मेलन में प्रमुख क्षेत्रों जैसे जलीय कृषि के लिए उन्नत बीज, जलाशय और आद्र भूमि मत्स्य पालन का विकास और पट्टा नीति, नदी मत्स्य पालन और लाइसेंसिंग तथा पट्टा नीति, आर्थिक समृद्धि के लिए अंतर्देशीय जलीय कृषि क्षमता और शीतजल मत्स्य पालन के सतत विकास के लिए प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने वाले तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया. विशेषज्ञों ने इस पर अपने विचार व्यक्त किये और हितधारकों के साथ चर्चा की. 

मत्स्य पालन के लिए व्यवहारिक रणनीति बनाना

इंदौर में आयोजित इस सम्मेलन की अध्यक्षता मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय तथा पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने की अध्यक्षता में हुई. सत्रों का उद्देश्य एक स्थायी, समावेशी और उत्पादक तरीके से अंतर्देशीय मत्स्य पालन को आगे बढ़ाने के लिए व्यावहारिक रणनीतियों और क्षेत्र-विशिष्ट समाधानों की पहचान करना था. विभिन्न अंतर्देशीय राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मत्स्य मंत्रियों ने अपने क्षेत्र-विशिष्ट संसाधनों, उपलब्धियों और मत्स्य पालन क्षेत्र को मजबूत करने के लिए जारी प्रयासों पर प्रकाश डाला. चर्चा में प्रमुख रुकावटों को दूर करने, उत्पादन बढ़ाने और केन्द्रीय योजनाओं के बेहतर उपयोग के माध्यम से बुनियादी ढांचे में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया. आजीविका, निर्यात और सतत अंतर्देशीय मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए राज्य के प्रयासों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ एकीकृत करने पर सामूहिक जोर रहा.

सम्मेलन में भाग लेने वाले राज्य

इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले गणमान्य व्यक्तियों में मध्य प्रदेश सरकार के मछुआरा कल्याण और मत्स्य विकास विभाग के मंत्री नारायण सिंह पंवार, लेह-लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश लेह, एलएचडीसी  के कार्यकारी पार्षद स्टैनजिन चोसफेल, हिमाचल प्रदेश सरकार के उपाध्यक्ष नियोजन भवानी सिंह पठानिया, छत्तीसगढ़ सरकार के मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष भरत लाल मटियार, हरियाणा सरकार के पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्री श्याम सिंह राणा, बिहार सरकार की पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री श्रीमती रेणु देवी और उत्तर प्रदेश सरकार के मत्स्य पालन मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद के साथ-साथ मत्स्य पालन विभाग, राज्य मत्स्य विभागों और आईसीएआर संस्थानों के अधिकारी भी शामिल थे.

तीन करोड़ से ज्यादा लोगों की जुड़ी है आजीविका 


केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मंत्री राजीव रंजन सिंह ने मत्स्य पालन क्षेत्र में अंतर्देशीय राज्यों द्वारा की गई प्रगति की सराहना की और उत्पादन तथा उत्पादकता को और बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) को मिलजुल कर प्रोत्साहित करने का आह्वान किया. उन्होंने इस क्षेत्र की प्रभावशाली औसत वार्षिक वृद्धि दर 9 फीसदी को रेखांकित  किया जो सभी कृषि-संबद्ध क्षेत्रों में सबसे अधिक है और लगभग 3 करोड़ लोगों को आजीविका का संबल प्रदान करती है. बुनियादी ढांचे, आधुनिकीकरण और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए ₹38,572 करोड़ का निवेश किया है. सिंह ने कहा कि इन प्रयासों ने भारत को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक बना दिया है, जहां अंतर्देशीय उत्पादन 2013-14 के मुकाबले 142 %  बढ़कर 125 लाख टन हो गया है. मंत्री ने पोषण में सुधार, उत्पादन को बढ़ावा देने और विकसित भारत के दृष्टिकोण में योगदान देने के लिए अंतर्देशीय संसाधनों के प्रभावी उपयोग को प्रोत्साहित किया.

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