सितंबर 2019 में बने कमांडर इन चीफ
रक्षा मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, 18 मई 1961 को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में भर्ती हुए थे. वह नेशनल डिफेंस अकेडमी, खडकवासला और इंडियन मिलिट्री अकेडमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं. मेजर जनरल के रैंक के अधिकारी ने उत्तरी कमान में महत्वपूर्ण बारामुला सेक्टर में एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी. बाद में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उन्होंने उत्तर पूर्व में एक कोर की कमान संभाली. इसके बाद वह सितंबर 2019 से पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ बने और मई 2021 में रिटायर हुए.
भारत के पहले सीडीएस थे जनरल बिपिन रावत
बता दें कि जनरल बिपिन रावत भारत के पहले रक्षा प्रमुख या चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) थे. उन्होंने ने 1 जनवरी 2020 को सीडीएस के पद का भार ग्रहण किया. इससे पहले वे भारतीय थल सेनाध्यक्ष के पद पर 31 दिसंबर 2016 से 31 दिसंबर 2019 तक पर रह चुके थे. 8 दिसंबर 2021 को एक हैलिकॉप्टर दुर्घटना में 63 साल की उम्र में जनरल बिपिन रावत का निधन हो गया.
ऑपरेशन सनराइज के मुख्य शिल्पी रह चुके हैं अनिल चौहान
मीडिया से बातचीत करते हुए एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ रहने के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद में बड़ी कमी आई. इसका परिणाम यह निकला कि पूर्वोत्तर के कई राज्यों में सेना की तैनाती में भी कमी आई. उन्होंने कहा कि अनिल चौहान ऑपरेशन सनराइज के मुख्य शिल्पी थे. इसके तहत भारतीय और म्यांमार सेना ने दोनों देशों की सीमाओं के पास उग्रवादियों के विरूद्ध समन्वित अभियान चलाया. अधिकारी के अनुसार, चौहान बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक की योजना से भी जुड़े थे.