अहमदाबाद: कहते हैं कि हौंसला मजबूत हो तो कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है. सपने खुली आंखों से देखे जाते हैं तो उड़ान चाहे जितनी ऊंची हो परवाज की जा सकती है. यदि यकीन हो कि राह में चाहे जितनी मुश्किल आये, बिना रूके अपना लक्ष्य हासिल करना ही है तो सबकुछ आसान हो जाता है.
दिव्यांग शिवम सोलंकी ने दिखाया जज्बा
ऐसा ही कुछ कर दिखाया है एक दिव्यांग किशोर शिवम सोलंकी ने. कई उदाहरण हमारे सामने मौजूद हैं जब दिव्यांग, जिंदगी से जंग हार जाते हैं. 12 साल की उम्र में अपना एक हाथ औऱ पांव गंवा देने वाले किशोर शिवम सोलंकी ने ऐसा जज्बा दिखाया कि मिसाल कायम कर दी है.
दसवीं में भी हासिल किये थे 81% अंक
दरअसल, गुजरात के रहने वाले शिवम सोलंकी ने शारीरिक अक्षमता को मात देते हुये बारहवीं बोर्ड परीक्षा में 92 फीसदी अंक हासिल किये हैं. और ये पहली बार नहीं है जब शिवम ने ऐसी उपलब्धि हासिल की है. शिवम ने दसवीं बोर्ड की परीक्षा में भी 81 फीसदी अंक हासिल किये थे.
डॉक्टर बनना चाहते हैं शिवम सोलंकी
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि वो डॉक्टर बनना चाहता है. शिवम ने ये भी कहा कि यदि उसकी अक्षमता उसे डॉक्टर बनने की इजाजत नहीं देती तो वो किसी ऐसी सर्विस में जाना चाहेगा जिसके जरिये आम लोगों की सेवा कर सके.
तार की चपेट में आने से हुआ हादसा
शिवम के परिवार ने बताया कि जब वो 12 साल का था तो छत पर पतंग उड़ाते हुये नीचे गिर पड़ा था. हादसे में वो बिजली की तार के चपेट में आ गया. जिससे उसका दांया हाथ और बायां पैर बुरी तरह से झूलस गया. इस वजह से उसे अपने हाथ-पांव गंवाने पड़े.
कलाइयों में कलम फंसाकर लिखा पेपर
शिवम ने बताया कि उसने 10वीं और 12वीं बोर्ड का एग्जाम अपने कलाइयों में बनाई गयी एक खास जगह में कलम फंसाकर दी. उसने यहीं पर पेन फंसाकर पेपर लिखा. शिवम ने इस दौरान जो जीवटता दिखाई वो वाकई तारीफ के काबिल है.
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