Health: देश में टीबी, मलेरिया जैसे रोग के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती थी. समय के साथ सरकार ने इन रोगों से लड़ने के लिए दवा और नयी चिकित्सा प्रणाली का विकास किया. इसके कारण देश में टीबी और मलेरिया से होने वाले मौत की संख्या में व्यापक कमी आयी है. आधुनिक तकनीक, नये टीके के विकास के कारण भारत में रोगों से लड़ने की क्षमता पहले से काफी बेहतर हुई है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश में वर्ष 2015 में टीबी से हर से प्रति लाख 237 माैत होती थी, जो वर्ष 2023 में घटकर प्रति लाख 195 हो गया.
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस दौरान टीबी के होने वाली मौत की संख्या में 17.7 फीसदी की कमी आयी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक टीबी रिपोर्ट, 2024 के अनुसार टीबी के कारण होने वाली मौतें 21.4 फीसदी की कमी आयी है. अगर मलेरिया की बात करें तो देश में वर्ष 2015 और 2024 के बीच मलेरिया के मामलों में 78.1 फीसदी और मलेरिया मृत्यु दर में 77.6 फीसदी की कमी आयी है. देश में वर्ष 2023 तक रोग ग्रस्त राज्यों के 54 जिलों के 633 ब्लॉकों में प्रति 10000 जनसंख्या पर एक से भी कम कालाजार उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है, जो कि वर्ष 2030 के वैश्विक सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) से काफी पहले हासिल किया गया है और यह स्थिति आज तक कायम है.
टीकाकरण अभियान है सफलता की वजह
देश में मलेरिया, डेंगू, टीबी जैसे रोग से निपटने के लिए सरकार की ओर से व्यापक अभियान सरकार चला रही है. इसके लिए एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के तहत एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्लेटफॉर्म (आईएचआईपी) पर कागज रहित, केस-आधारित रिपोर्टिंग के माध्यम से 50 से अधिक माहामारी वाले रोगों की निगरानी की जाती है. केंद्र और राज्य सरकार मिलकर ऐसे रोगों से निपटने के लिए काम कर रही है.
हाल ही में डेंगू से निपटने के लिए टीके की मंजूरी दी गयी है. साथ ही जापानी इंफेलिटिस से निपटने के लिए व्यापक कार्ययोजना पर काम किया जा रहा है. सरकार के प्रयास का नतीजा है कि जापानी इंफेलिटिस की मृत्यु दर (सीएफआर) 2014 में 17.6 फीसदी से घटकर 2024 में 7.1फीसदी रह गयी. वहीं डेंगू के मामलों में मृत्यु दर (प्रति 100 मामलों में मृत्यु) 2008 से 1 फीसदी से नीचे बनी हुई है.
देश में लिम्फैटिक फाइलेरियासिस से प्रभावित 348 जिलों में से 143 (41 फीसदी) ने मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) बंद कर दिया है और ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे (टीएएस 1) पास कर लिया है. यह वर्ष 2014 में 15 फीसदी था. कुल जनसंख्या के सापेक्ष मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कवरेज 2014 के 75 फीसदी से बढ़कर 2025 में 85 फीसदी हो गया है.
मां से बच्चे में एचआईवी के संचरण के मामलों में लगभग 84 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि 2010 और 2024 के बीच यह दर लगभग 74.5 फीसदी कम हुई है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.