सबसे कम उम्र में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार का दायित्व
बता दें कि कांग्रेस नेता के तौर पर हिमाचल की राजनीति में रामलाल ठाकुर बड़ा वजूद रखते हैं, उनकी कर्मभूमि नैना देवी विधानसभा क्षेत्र रहा है. 1985 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतते ही उन्हें सबसे कम उम्र में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार का दायित्व दिया गया था. बता दें कि इनके किसान के बेटे रामलाल ठाकुर ने शिमला से एलएलबी की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने बिलासपुर जिला अदालत में प्रैक्टिस भी की.
कामरेड रहे केके कौशल को हराकर चुने गए विधायक
1985 तक वे युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष और प्रदेश युवा कांग्रेस के महासचिव रहे. 1985 में रामलाल ठाकुर ने कोटकहलूर हलके से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और कामरेड रहे केके कौशल को हराकर विधायक चुने गए. वह कानून, खेल व अन्य विभागों के मंत्री भी रहे. 90 में एक बार फिर चुनाव जीतकर वह स्वास्थ्यमंत्री बने. वह 1998 और 2003 में भी विधायक बने, 2008 और 2012 में चुनाव हारने के बाद एक बार फिर 2017 में चुनाव जीत गए.
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कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा साफ नहीं
इस बार के विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी एक ओर जयराम ठाकुर के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है वही, कांग्रेस की ओर से अभी तक मुख्यमंत्री का चेहरा साफ नहीं किया है. ऐसे में सीएम पद के उम्मीदवार होने के साथ-साथ प्रदेश में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में जीत दिलाने में इनका बड़ा योगदान रह सकता है. बता दें कि हिमाचल में विधानसभा चुनाव का मतदान एक ही चरण में 12 नवंबर को होना है जिसके वोटों की गिनती 8 दिसंबर को होनी है.