स्टालिन ने हिंदी सहित अन्य भाषाओं पर उठाए सवाल
स्टालिन का कहना था, “अन्य राज्यों के प्यारे बहनों और भाइयों, क्या आपने कभी सोचा है कि हिंदी ने कितनी भारतीय भाषाओं को निगल लिया है? भोजपुरी, मैथिली, अवधी, ब्रज, बुंदेली, गढ़वाली, कुमाऊंनी, मगही, मारवाड़ी, मालवी, छत्तीसगढ़ी, संथाली, अंगिका, खरिया, खोरठा, कुरमाली, कुरुख, मुंडारी जैसी भाषाएं अब अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं.”
उन्होंने यह भी कहा कि यूपी और बिहार कभी सिर्फ हिंदी के गढ़ नहीं थे. उनके मुताबिक, इन राज्यों की असली भाषाएं अब इतिहास की धरोहर बन गई हैं और हिंदी की अखंड पहचान बनाने के प्रयासों ने इन भाषाओं को खत्म कर दिया है.
रेल मंत्री ने दिया करारा जवाब
इस पोस्ट के बाद, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने त्वरित प्रतिक्रिया दी. उन्होंने स्टालिन के बयान को नकारते हुए कहा, ‘समाज को बांटने की ऐसी थोथी कोशिशों से खराब शासन कभी नहीं छिप पाएगा. ये बयान सिर्फ समाज में असहमति और विखंडन फैलाने के लिए हैं.’
रेल मंत्री ने यह भी सवाल उठाया कि क्या इस मुद्दे पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का क्या दृष्टिकोण है. उन्होंने पूछा, “क्या राहुल गांधी इस बयान से सहमत हैं, विशेष रूप से हिंदी भाषी सीट के सांसद के तौर पर?’
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