भारत सरकार ने 2070 तक देश में शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बजट में कई प्रावधान भी किये हैं. ग्रीन ग्रोथ पर सरकार के फोकस को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार 3 मई को एक रिपोर्ट जारी किया है, जिसमें यह कहा गया है कि 2030 तक भारत में ग्रीन एनर्जी के लिए जो इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप किये जायेंगे वह सालाना जीडीजी का 2.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
जलवायु परिवर्तन के विभिन्न आयामों पर चर्चा
ज्ञात हो कि रिजर्व बैंक ने वर्ष 2022-23 के लिए मुद्रा एवं वित्त पर एक रिपोर्ट जारी किया जिसमें जलवायु परिवर्तन के चार आयामों को शामिल किया गया. इस रिपोर्ट में इस बात पर फोकस किया गया है कि भारत में टिकाऊ एवं भरोसेमंद उच्च वृद्धि के लिए संभावित चुनौतियां क्या होंगी.
प्रतिबद्धता के साथ उठाने होंगे कदम
आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि अगर भारत को साल 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना हैं तो कई जरूरी कदम प्रतिबद्धता के साथ उठाने होंगे. रिपोर्ट में जिन आयामों पर चर्जा की गयी है वे हैं -1. जलवायु परिवर्तन की गति 2. जलवायु परिवर्तन के व्यापक आर्थिक प्रभाव 3. वित्तीय स्थिरता के निहितार्थ और 4. जलवायु जोखिमों को कम करने के लिए नीतिगत विकल्प.
एनर्जी मिक्सिंग का दौर लाना होगा
आरबीआई की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत को 2070 तक कार्बन के शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करना है तो एनर्जी मिक्सिंग का दौर तेजी से लाना होगा और इसे बढ़ाकर 2070 तक 80 प्रतिशत तक लेकर जाना होगा. रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया है पर्यावरण संरक्षण के लिए घरेलू नीतियों की जरूरत है साथ ही वैश्विक ठोस प्रयास भी जरूरी हैं.
हाइड्रोजन ट्रेन का परीक्षण इसी वर्ष होगा
रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया की यह रिपोर्ट जिस नीतियों पर फोकस करना चाह रही है, उसी दिशा में कदम उठाते हुए रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अनिल कुमार लाहोटी ने पिछले दिनों यह जानकारी दी है कि देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन विकसित किए जाने की परियोजना पर काम जारी है और ग्रीन एनर्जी से चलने वाली इस ट्रेन का परीक्षण रेलवे मौजूदा वित्त वर्ष में ही करेगा. हाइड्रोजन ट्रेन की तकनीक नवीनतम है और देश में पहली बार ऐसी ट्रेन विकसित हो रही है, जो जलवायु को प्रदूषित करने का काम नहीं करेगी. देश में हाइड्रोजन से ट्रेन चलाना बहुत बड़ी सफलता होगी.
क्या है नेट जीरो उत्सर्जन
ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कॉप26 में यह ऐलान किया था कि भारत 2070 तक नेट जीरो को हासिल कर लेगा. इसका अर्थ यह है कि भारत नेट जीरो का लक्ष्य 2050 के वैश्विक लक्ष्य से दो दशक ज्यादा में प्राप्त करेगा. जलवायु परिवर्तन के बढ़ते संकट को रोकने के लिए नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करने की बात कही गयी है. नेट जीरो का अर्थ यह नहीं है कि कार्बन का उत्सर्जन शून्य हो जायेगा, बल्कि इसका अर्थ यह है कि कोई देश जितना कार्बन उत्सर्जन वायुमंडल में करेगा उसको सोखने की व्यवस्था भी उसी तरह से करेगा, ताकि ग्रीन हाउस गैस का जमाव ना हो. इसी स्थिति को नेट जीरो कहा जाता है.
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