Heavy Rain Alert: 16 से 21 मई तक भयंकर आंधी-तूफान और भारी बारिश का खतरा, IMD ने इन राज्यों में जारी किया अलर्ट

Heavy Rain Alert: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने अगले 6 दिनों के लिए मौसम का पूर्वानुमान जारी किया है.

By Aman Kumar Pandey | May 16, 2025 6:28 PM
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Heavy Rain Alert: भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि देश के कई क्षेत्रों में आगामी छह दिनों के दौरान मौसम का मिजाज अस्थिर रह सकता है. पूर्वोत्तर, दक्षिण, पश्चिम, मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत में गरज-चमक के साथ तेज हवाएं चलने और भारी वर्षा की संभावना जताई गई है.

पूर्वोत्तर भारत में Heavy Rain Alert की संभावना

पूर्वोत्तर राज्यों में 16 से 21 मई के बीच गरज के साथ बारिश होने के आसार हैं. इस दौरान हवा की गति 30 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच सकती है. विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में 16 से 18 मई तक और त्रिपुरा में 17 और 18 मई को भारी से अति भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है. साथ ही ओडिशा, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी 16 से 19 मई तक तेज गर्जना और 50-60 किमी/घंटे की रफ्तार से तेज हवाओं के साथ बारिश की संभावना जताई गई है.

दक्षिण भारत में Heavy Rain Alert का अनुमान

दक्षिणी राज्यों जैसे केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 16 से 20 मई के बीच गरज-चमक के साथ भारी बारिश हो सकती है. मौसम विभाग के मुताबिक, इन इलाकों में कई स्थानों पर बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है. तेलंगाना में कुछ क्षेत्रों में 50 से 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं भी चल सकती हैं.

पश्चिम भारत में भी Rain Alert बदलेगा मौसम का मिजाज

पश्चिमी भारत के महाराष्ट्र (मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा), कोंकण और गोवा क्षेत्रों में 16 से 22 मई तक गरज-चमक और बिजली गिरने की घटनाओं के साथ हल्की से मध्यम बारिश का अनुमान है.

Nautapa 2025 से पहले Heavy Rain Alert

नौतपा 2025 से पहले उत्तर-पश्चिम भारत में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कई हिस्सों में 16 से 21 मई के दौरान बारिश, तेज हवाएं और बिजली गिरने की संभावना है. इसके अलावा, 16 और 19 मई को उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में ओले गिरने की भी आशंका जताई गई है.

Heavy Rain Alert 

मौसम विभाग ने लोगों और प्रशासन से सतर्क रहने का आग्रह किया है. खराब मौसम के चलते यातायात, बिजली आपूर्ति और खेती को नुकसान हो सकता है. खासकर तटीय और पर्वतीय इलाकों में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है.

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