IMD: एनसीडीईएक्स और आईएमडी के बीच बड़ी डील, किसानों को होगा बड़ा लाभ
IMD: एनसीडीईएक्स और आईएमडी के बीच शनिवार को बड़ी डील हुई है. जिसकी घोषणा आईएमडी के महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्रा ने की. उन्होंने बताया कि नये समझौते से कृषि क्षेत्र को बहुत लाभ होगा.
By Anjali Pandey | July 5, 2025 6:53 PM
IMD: एनसीडीईएक्स और आईएमडी के बीच समझौता ज्ञापन से कृषि क्षेत्र को होने वाले लाभ पर आईएमडी के महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्रा ने कहा, “हमारे देश में कृषि विशेष रूप से मानसून की बारिश पर निर्भर करती है, क्योंकि 70-90% वर्षा इसी मौसम में होती है… इसलिए, किसान या कृषि आधारित उद्योग पिछले ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर यह आकलन कर सकते हैं कि कौन सा क्षेत्र सूखाग्रस्त है या बाढ़ग्रस्त है या किस क्षेत्र में सामान्य वर्षा होती है. वास्तविक समय की वर्षा से वे यह पता लगा सकते हैं कि यह जलवायु प्रवृत्ति के अनुसार है या इसमें विचलन है. कृषि के साथ-साथ कृषि-व्यवसाय और उद्योग के संबंध में कुछ निर्णय लिए जा सकते हैं.”
#WATCH | Delhi: On benefits to the agriculture sector with the MoU between NCDEX and IMD, DG IMD Dr Mrutyunjay Mohapatra says, "Agriculture in our country depends especially on monsoon rain because 70-90% of rainfall occurs in this season…So, farmers or farm-based industry can… pic.twitter.com/nipFx7joCv
डॉ. मोहापात्रा के दिए गए जानकारी के अनुसार इस प्रक्रिया में IMD की तरफ से मौसम गतिविधियों के पुराने डेटा को भी उपलब्ध कराया जाएगा. इन आंकड़ों के आधार पर मानसून के दौरान होने वाली बारिश और वास्तविक रेन-फॉल का आकलन किया जा सकेगा. इससे यह भी पता लगाया जा सकेगा कि किन इलाकों में सूखा पड़ने, बाढ़ आने या सामान्य बारिश होने की संभावना है.
कैसे काम करेगा मौसम डेरिवेटिव?
मौसम डेरिवेटिव एक वित्तीय संपत्ति की तरह काम करेगा. इसमें भुगतान की प्रक्रिया संभावित मौसम की गतिविधियों पर आधारित होगी. किसान डेरिवेटिव लेने के बाद निर्धारित प्रीमियम जमा करेगा. अधिक बारिश होने की वजह से हुए नुकसान को इसी प्रीमियम की राशि से कवर किया जाएगा. यह किसानों और कृषि संबंधित उद्योगों को मौसम आधारित जोखिमों से सुरक्षित रखेगा.