बागी नेताओं में इनका नाम शामिल
इधर, बीजेपी ने साफ किया है कि अनुशासन तोड़कर पार्टी के खिलाफ लड़ने वाले नेताओं को पार्टी में नहीं लिया जाएगा. बागी नेताओं में वाघोडिया से विधायक मधु श्रीवास्व, पादरा से पूर्व विधायक दीनू मामा, धानेरा से मावजी देसाईके, बायड से धवल सिंह झाला, केशोद से अरविंद लडानी और खेरालू से राम सिंह ठाकोर के नाम प्रमुख हैं. बताते चलें कि एक्जिट पोल में अन्य के खाते में छह से आठ सीटें जाने की अनुमान लगाया गया है.
गुजरात में 1995 में निर्दलियों ने बनाई थी सरकार
गुजरात में अगर निर्दलियों की बात करें तो 1995 के बाद राज्य में निर्दलियों की राजनीति लगभग खत्म हो गई. 1995 के चुनाव में सोलह निर्दलीय जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. बाद में इनकी बदौलत ही गुजरात में उलटफेर हुआ था और तब बीजेपी की चुनी हुई सरकार गिरी थी और बगावत करने वाले बीजेपी नेता शंकर सिंह वाघेला मुख्यमंत्री बने थे. इससे पहले, 1990 में भी दस निर्दलीय जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.
2002 में सिर्फ दो निर्दलीय प्रत्याशी पहुंचे थे विधानसभा
नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद निर्दलियों की राजनीति लगभग खत्म हो गई. 1998 के चुनाव में सिर्फ तीन निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली थी. जबकि, 2002 में यह संख्या सिर्फ दो पर सिमट गई. 2007 में भी निर्दलीय की संख्या नहीं बढ़ी और दो ही अपक्ष उम्मीदवार विधानसभा पहुंच पाए. 2012 और 2017 के चुनाव में यह संख्या 1 से 3 निर्दलीय पर सिमट गई. 2017 में दलित नेता जिग्नेश मेवाणी कांग्रेस के समर्थन से निर्दलीय जीतकर गांधीनगर पहुंचे थे. इसके अलावा दो अन्य सीटों पर निर्दलीय जीते थे. 2002 के चुनाव में 344 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. वहीं, 2022 के चुनाव में कुल निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या कम है और 624 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.
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