भारत ने वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के घटे दाम का फायदा उठाते हुए अपने भूमिगत तेल भंडारों, टैंकों, पाइपलाइनों और जलपोतों में 3 करोड़ 20 लाख टन से ज्यादा कच्चे तेल का भंडारण कर लिया है. अब देश में तेल भंडार की जगह नहीं बची तो भारत विदेशों में भंडार बनाने की तैयारी में जुट गया है. सोमवार को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि भारत सस्ते कच्चे तेल का लाभ लेने के लिए अमेरिका में क्रूड स्टोर करने की संभावनाएं तलाश रहा है. भारत में मौजूदा सभी स्टोरेज पूरी तरह से भर चुके हैं.
Also Read: ऊपर से सख्त दिखने वाले कटहल में इतने सारे गुण? जानें किन मरीजों के लिए है खतरनाक
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया ने भी ऐसा ही कदम उठाने के बारे में जानकारी दी थी. ऑस्ट्रेलिया भी सस्ते कच्चे तेल का लाभ लेने के लिए अमेरिका के रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व में कच्चे तेल का भंडारण करना चाहता है.धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि हम संभावनाएं तलाश रहें है कि किसी दूसरे देश में अपने निवेश को स्टोर कर सकें. हम अमेरिका में ऐसी संभावनाएं देख रहें हैं जहां सस्ते कच्चे तेल का भंडारण किया जा सके. 2020 में अब तक कच्चे तेल की कीमतों में 40 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है. हालांकि, पिछले कुछ सप्ताह में इसमें मामूली तेजी भी रही है.
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश
बता दें कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. भारत पेट्रोलियम उत्पादों की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 85 फीसदी की भरपाई आयात से करता है. कोविड-19 के दौर में लॉकडाउन लगाए जाने से पूरी दुनिया में तेल की मांग अचानक गायब हो गई. ऊर्जा क्षेत्र में यह अपने आप में अभूतपूर्व स्थिति है. इससे पहले ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी गई. विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम टूटते चले गए और एक समय तो ऐसा भी आया जब अमेरिका के बाजार में दाम नकारात्मक दायरे में चले गए. प्रधान ने कहा कि भारत इस स्थिति का लाभ अपने तेल भंडारों को भरने के लिए कर रहा है ताकि बाद में इसका इस्तेमाल किया जा सके.
देश में यहां बनाया गया तेल का भंडार
हाल ही में एक फेसबुक लाइव में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान कहा था कि सऊदी अरब, यूएई और इराक से की गई कच्चे तेल की खरीद से 53.30 लाख भूमिगत रणनीतिक भंडारों को भरने में मदद मिली है वहीं 70 लाख टन तेल तैरते जलपोतों में रखा गया है. इसी प्रकार ढाई करोड़ टन तेल देश के भूक्षेत्र स्थिति डिपो और टैंकों, रिफाइनरी पाइपलाइनों और उत्पाद टैंकों में भरा गया है. उन्होंने कहा कि भंडारण किया गया यह तेल देश की कुल मांग की 20 फीसदी के बराबर है. भारत अपनी कुल जरूरत का 85 फीसदी तेल आयात करता है. उसकी तेल रिफाइनरियों में 65 दिन के कच्चे तेल का भंडार रखा जाता है.
उन्होंने कहा कि तेल की कीमतों में गिरावट से भारत के आयात बिल में कमी आएगी जबकि कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते खपत में कमी का प्रभाव केंद्र और राज्य सरकार के राजस्व में देखा जा सकता है. आपातकाल भंडारण के तौर पर सरकार द्वारा राज्य के स्वामित्व वाली तेल कंपनियों में 53 लाख टन तेल रखा गया है. सरकार द्वारा बनाई गई ये कंपनियां कर्नाटक के मंगलूरू और पाडुर और आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम की भूमिगत गुफाओं में स्थित है. इसके अलावा, पाइपलाइनों में भी कुछ भंडारण क्षमता होती है। इससे पहले तेल की कीमतों में जब 20 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट हुई थी, तब मंगलूरू और पाडुर के तेल भंडारण टैंक आधे खाली थे. लेकिन अब इन्हें सऊदी अरब, यूएई और इराक से तेल खरीद कर भर दिया गया है
Agni Prime Missile : पहली बार रेल लॉन्चर से परीक्षण, मिसाइल भेद सकती है 2,000 किलोमीटर तक के टारगेट को
Watch Video: पानी में डूबे घर, टूटी सड़कें, उत्तरकाशी में बादल फटने से मची तबाही का नया वीडियो आया सामने
Uttarkashi Cloudburst: उत्तराखंड में कुदरत का कहर, अब तक 4 की मौत, सीएम धामी ने नुकसान का लिया जायजा
Heavy Rain Warning: अगले 3 से 4 घंटों के दौरान हिमाचल में भयंकर बारिश की संभावना, IMD अलर्ट जारी