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थॉमस चेरियन पथानामथिट्टा जिले के ओडालिल परिवार के पांच बच्चों में से दूसरे नंबर पर थे. जब वायु सेना से उनके लापता होने की सूचना मिली, तब परिवार ने 56 वर्षों तक दुख में इंतजार किया. 30 सितंबर 2024 को परिवार को बताया गया कि थॉमस चेरियन के अवशेष बरामद कर लिए गए हैं. चेरियन के छोटे भाई थॉमस वर्गीस और भतीजे शैजू मैथ्यू सहित परिवार के अन्य सदस्य अब भी परिवार के घर में रहते हैं. वर्गीस को उस दिन की अच्छी तरह याद है जब 7 फरवरी 1968 को विमान के लापता (missing of the plane) होने की सूचना देने वाला टेलीग्राम आया था.
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2003 में अधिकारियों ने पुष्टि की कि विमान दुर्घटनाग्रस्त (airplane crash) हो गया था और कुछ शव बरामद किए गए थे. इसके बाद, स्थानीय पुलिस ने थॉमस चेरियन के बारे में जानकारी जुटाने के लिए उनके घर का दौरा किया. वर्गीस ने कहा कि यह उनके लिए दुख और राहत का क्षण है, क्योंकि अपने भाई के अवशेषों को प्राप्त करने से उन्हें कुछ शांति मिली है.
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शैजू मैथ्यू ने कहा कि परिवार 56 वर्षों के बाद भी उनकी खोज के लिए भारत सरकार और भारतीय सेना (Indian Government and Indian Army) के प्रति आभार व्यक्त करता है. केरल के अन्य सैनिक भी AN12 विमान में सवार थे, जिनमें कोट्टायम के केपी पनिकर, केके राजपन और आर्मी सर्विस कोर के एस भास्करन पिल्लई शामिल हैं. इन सैनिकों के शव अभी तक भारतीय सेना को नहीं मिले हैं. सितंबर में रोहतांग दर्रे में 4 और जवानों के शव मिले. इनमें से 3 सैनिकों की पहचान हो गई है, जिसमें थॉमस चेरियन का शव भी शामिल है. वहीं स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि चौथा शव रन्नी के एक भारतीय जवान पीएस जोसेफ का हो सकता है, जो विमान में सवार था.
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