CAA: गृह मंत्रालय ने सीएए लागू होने के दूसरे दिन कहा, भारतीय मुसलमानों को चिंता करने की जरूरत नहीं, क्योंकि उनकी नागरिकता को प्रभावित करने वाला कोई भी प्रावधान सीएए में नहीं है. मंत्रालय ने कहा, सीएए का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं, उनके पास हिंदू समुदाय के लोगों के समान अधिकार हैं. केंद्र सरकार ने कहा, नागरिकता साबित करने के लिए किसी भी भारतीय नागरिक को कोई दस्तावेज पेश करने के लिये नहीं कहा जाएगा.
केंद्र सरकार बोली- सीएए अवैध प्रवासियों को वापस भेजने से संबंधित नहीं
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने साफ कर दिया कि सीएए अवैध प्रवासियों को वापस भेजने से संबंधित नहीं है. इसके मुसलमानों के विरूद्ध होने संबंधी एक वर्ग के लोगों की चिंता अनुचित है.
आवेदन की योग्यता अवधि को 11 से कम कर पांच साल कर दिया गया
गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, उन तीन मुस्लिम देशों में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के कारण पूरी दुनिया में इस्लाम की छवि बुरी तरह खराब हुई है. हालांकि, इस्लाम एक शांतिपूर्ण धर्म होने के नाते, कभी भी धार्मिक आधार पर घृणा, हिंसा, उत्पीड़न को बढ़ावा नहीं देता है. यह कानून अत्याचार के नाम पर इस्लाम की छवि खराब होने से बचाता है. कानून की आवश्यकता बताते हुए मंत्रालय ने कहा कि भारत का अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ प्रवासियों को इन देशों में वापस भेजने के लिए कोई समझौता नहीं है. मंत्रालय ने कहा कि नागरिकता अधिनियम की धारा 6, जो प्राकृतिक आधार पर नागरिकता से संबंधित है, के तहत दुनिया में कहीं से भी मुसलमानों के लिए भारतीय नागरिकता प्राप्त करने पर कोई रोक नहीं है. सीएए ने 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत आने वाले लोगों के उत्पीड़न की पीड़ा को कम करने तथा उनके प्रति उदार व्यवहार दिखाने के उद्देश्य से नागरिकता के लिए आवेदन की योग्यता अवधि को 11 से कम कर पांच साल कर दिया है.
सीएए लागू होने से शाहीन बाग के निवासी नाखुश
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के नियमों को अधिसूचित किये जाने के एक दिन बाद दिल्ली के शाहीन बाग के निवासियों ने अप्रसन्नता जताते हुए इसके मुस्लिमों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की बात कही.शाहीन बाग के स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्हें लगता है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम से मुस्लिम जनसंख्या पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
31 दिसंबर 2014 तक भारत में आये गैर मुस्लिम शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता
संसद ने 2019 में सीएए कानून बनाया था जिसका उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के उन बिना दस्तावेज वाले गैर मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करने में तेजी लाना है जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आ गये थे. नियमों को अधिसूचित किये जाने से इन देशों के प्रताड़ित गैर मुस्लिम प्रवासी– हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी एवं ईसाई अब भारतीय नागरिकता के लिए पात्र हो गये हैं.
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