Innovation: अब देश में बनेगा दो सीट ट्रेनर एयरक्राफ्ट

इलेक्ट्रिक हंसा(ई-हंसा) ट्रेनर एयरक्राफ्ट का विकास काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च(सीएसआईआर) और बेंगलुरू स्थित नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरी(एनएएल) मिलकर करेंगे. यह ट्रेनर एयरक्राफ्ट विदेशी एयरक्राफ्ट के मुकाबले काफी सस्ता होगा और संभवत इसकी कीमत लगभग दो करोड़ रुपये से कम होगी. मंगलवार को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) ने सभी विज्ञान से जुड़े विभाग के सचिवों के साथ हुई उच्च-स्तरीय बैठक में इसकी जानकारी दी.

By Vinay Tiwari | May 27, 2025 6:23 PM
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Innovation: देश में अब स्वदेशी भावी पीढ़ी का दो-सीट वाला इलेक्ट्रिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट का निर्माण होगा. इलेक्ट्रिक हंसा(ई-हंसा) ट्रेनर एयरक्राफ्ट का विकास काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च(सीएसआईआर) और बेंगलुरू स्थित नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरी(एनएएल) मिलकर करेंगे. यह ट्रेनर एयरक्राफ्ट विदेशी एयरक्राफ्ट के मुकाबले काफी सस्ता होगा और संभवत इसकी कीमत लगभग दो करोड़ रुपये से कम होगी. मंगलवार को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) ने सभी विज्ञान से जुड़े विभाग के सचिवों के साथ हुई उच्च-स्तरीय बैठक में इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि देश के लिए गर्व की बात है कि ट्रेनर एयरक्राफ्ट का निर्माण स्वदेशी तकनीक से किया जायेगा.

पायलट ट्रेनिंग को सस्ता और बेहतर बनाने के लिए सरकार ई-हंसा योजना पर काम कर रही है. यह भारत के हरित ऊर्जा के क्षेत्र में प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है. देश में ट्रेनर एयरक्राफ्ट में ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल होगा, जो पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से बना होगा. बैठक में पूर्व में लिए गए फैसले की समीक्षा की गयी और देश के विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने के लिए सुधार के उपायों पर भी मंथन किया गया. 



निजी क्षेत्र की भागीदारी है जरूरी


केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश के स्वदेशी तकनीक का व्यवसायीकरण करना जरूरी है. इसके लिए पीपीपी मॉडल को अपनाने की आवश्यकता है. उन्होंने नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कॉरपोरेशन(एनआरडीसी) को निजी क्षेत्र को ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के जरिये इनोवेशन को सही दिशा देना चाहिए. इसके लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी भी सुनिश्चित करने की जरूरत है. निजी क्षेत्र सिर्फ ज्ञान के साझीदार नहीं बल्कि निवेश के भागीदार भी होने चाहिए.  इसरो के स्पेडेक्स मिशन की सराहना करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे भारत की क्षमता दुनिया के सामने आ रही है. भारत के गगनयान मिशन पर दुनिया की निगाह लगी हुई है.

ऑपरेशन सिंदूर में भी इसरो ने अहम रोल अदा किया और पूरा देश इसरो की कामयाबी पर गर्व महसूस कर रहा है. मौजूदा समय में इसरो 40 केंद्रीय मंत्रालय और 28 राज्य सरकार के साथ मिलकर भावी मिशन पर काम कर रहा है.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य विकसित भारत का निर्माण करना है. विज्ञान और विकास को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रवार चिंतन शिविर का आयोजन किया जा रहा है. इसमें केंद्र सरकार के अहम विभाग जैसे स्पेस, सीएसआईआर, अर्थ साइंस, एटॉमिक एनर्जी जैसे विभाग शिरकत कर रहे है. 

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