IPU: ताशकंद में IPU की 150वीं सभा, राज्यसभा के उपसभापति हुए शामिल, लोकतांत्रिक सुदृढ़ीकरण के लिए उठाए गए कदमों को किया रेखांकित

IPU: उज्बेकिस्तान के ताशकंद में आयोजित अंतर संसदीय संघ (आईपीयू) के 150वीं अधिवेशन में राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश ने भारत सरकार की ओर से जवाबदेही को बेहतर बनाने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सशक्त करने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों को रेखांकित किया. उपसभापति सभा की मुख्य कार्यवाही और गवर्निंग काउंसिल की बैठक में भी शामिल हुए.

By Pritish Sahay | April 11, 2025 10:25 PM
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IPU: राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश ने ताशकंद में आयोजित अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) की 150वीं सभा के दौरान भारत सरकार की ओर से जवाबदेही को बेहतर बनाने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सशक्त करने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों को रेखांकित किया. ये अभ्युक्तियां आईपीयू संकल्पों और निर्णयों के क्रियान्वयन के संबंध में आयोजित विशेष सत्र में की गई. अपनी अभ्युक्ति में उन्होंने कहा कि “हमारी सरकार ने बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, शोषण, तस्करी, और हिंसा के विरुद्ध एक व्यापक रणनीति लागू की है, जिसके अंतर्गत द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और इन मुद्दों से निपटने के लिए बहुपक्षीय पहलों में भागीदारी की गई है. भारत ने सशक्त संसदीय लोकतंत्र, स्वतंत्र न्यायपालिका और निर्वाचन आयोग, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक जैसे संस्थानों की स्थापना हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए की है.”

अपने अंतक्षेपों के अलावा, उपसभापति हरिवंश ने सभा की मुख्य कार्यवाही और गवर्निंग काउंसिल की बैठक में भी हिस्सा लिया. भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व माननीय लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने किया, जिसमें दोनों सभाओं के सदस्य सम्मिलित थे. आईपीयू सभा का विषय सामाजिक विकास और न्याय हेतु संसदीय कार्रवाई था. अपने पांच दिवसीय ताशकंद दौरे के दौरान उपसभापति ने विभिन्न देशों के पीठासीन अधिकारियों और राष्ट्राध्यक्षों के साथ कई अन्य द्विपक्षीय बैठकें की. राज्य सभा के उपसभापति और लोक सभा अध्यक्ष ने उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव से भी शिष्टाचार भेंट की. इस बैठक में उन्होंने दोनों देशों के गहरे संबंधों को रेखांकित किया तथा आगामी वर्षों में द्विपक्षीय संबंधों को और सुदृढ़ बनाने पर बल दिया. एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में भारत उज्बेकिस्तान की स्वतंत्रता के बाद उसकी राज्य संप्रभुता को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था, जिसे 18 मार्च, 1992 को राजनयिक संबंधों की स्थापना द्वारा औपचारिक रूप दिया गया.

सम्मेलन के दौरान उपसभापति और लोक सभा अध्यक्ष ने आर्मेनिया, कज़ाख़िस्तान, उज्बेकिस्तान सहित अन्य देशों के प्रतिनिधि मंडलों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं. इन बैठकों में पीठासीन अधिकारियों ने अपने समकक्ष अधिकारियों के साथ साझा हितों से जुड़े दृष्टिकोणों पर चर्चा की. भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने ताशकंद में स्थित पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की स्मृति स्थल का भी दौरा किया. आईपीयू के दौरान हरिवंश ने भारतीय प्रवासियों और समरकंद स्टेट यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ विभिन्न सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लिया. अपने संबोधन में उन्होंने दोनों देशों के बीच सेतु के रूप में कार्य करने वाले भारतीय समुदाय के महत्व को दोहराया. उन्होंने कहा, “जन-से-जन का जुड़ाव हमारे टिकाऊ संबंधों की आत्मा है और शिक्षा इस संबंध को प्रगाढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. मुझे अत्यधिक गर्व है कि उज्बेकिस्तान की 15 विश्वविद्यालयों में ‘’भारत अध्ययन केंद्र’ की स्थापना हुई है, जो भारत की समृद्ध संस्कृति और भाषाओं के अध्ययन को समर्थन देने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है.”

भारतीय प्रतिनिधिमंडल में संसद सदस्य भर्तृहरि महताब, अनुराग सिंह ठाकुर, विष्णु दयाल राम, अपराजिता सारंगी, डॉ. सस्मित पात्रा, अशोक कुमार मित्तल, किरण चौधरी, लता वानखेड़े, बिजुली कालिता मेधी, उत्पल कुमार सिंह, महासचिव, लोक सभा और पीसी मोदी, महासचिव, राज्यसभा सम्मिलित थे.

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