ISRO: श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया ओशनसैट-3 और 8 नैनो सेटेलाइट, जानें क्या है खासियत ? देखें वीडियो…

ISRO: 2009 में ओशनसैट-2, पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह (ईओएस) को अंतरिक्ष में भेजा गया था. अब राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी समुद्र के अवलोकनों की निगरानी और रिकॉर्ड करने के लिए तीसरा ओशनसैट-3 ईओएस लॉन्च करने जा रही है. जानकारी हो कि Oceansat सीरीज के सैटेलाइट अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट हैं.

By Aditya kumar | November 26, 2022 12:08 PM
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ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ओर से आज यानि शनिवार 26 नवंबर को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से ओशनसैट-3 और आठ नैनो-उपग्रहों को लॉन्च किया है. इसरो से मिली जानकारी के अनुसार, श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से प्रक्षेपण शनिवार सुबह 11 बजकर 46 मिनट पर हुआ. इन उपग्रहों को पीएसएलवी सी-54 या ईओएस-06 मिशन के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया है. बताया जा रहे है कि मिशन का प्राथमिक पेलोड ओशनसैट सीरीज के थर्ड जेनरेशन सैटेलाइट Oceansat-3 है. इसके अलावा आनंद नैनो-उपग्रह, जिसे विकसित पिक्सेल इंडिया के द्वारा किया गया है, और ध्रुव स्पेस, एस्ट्रोकास्ट और स्पेसफ्लाइट यूएसए द्वारा विकसित अन्य नैनो-उपग्रहों को भी लॉन्च किया गया.

बता दें कि 2009 में ओशनसैट-2, पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह (ईओएस) को अंतरिक्ष में भेजा गया था. अब राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी समुद्र के अवलोकनों की निगरानी और रिकॉर्ड करने के लिए तीसरा ओशनसैट-3 ईओएस लॉन्च करने जा रही है. जानकारी हो कि Oceansat सीरीज के सैटेलाइट अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट हैं, जो समुद्र विज्ञान और वायुमंडलीय अध्ययन के लिए ही समर्पित है. इसकि अन्य खासियत के बारे में अगर बात की जाए तो यह सैटेलाइट समुद्री मौसम का पूर्वानुमान करने में सक्षम है, जिससे देश किसी भी चक्रवात के लिए पहले से तैयार रहे. इस सैटेलाइट का कुल मास 960 किलोग्राम है और यह 1,360 वाट पर काम करेगा. साथ ही बता दें कि ओशनसैट-3 को सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि इसके पांच साल के मिशन जीवन का अनुमान है.

बता दें कि पिक्सेल और ध्रुव स्पेस क्रमशः बेंगलुरू (प्लस कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका) और हैदराबाद (प्लस ग्राज़, ऑस्ट्रिया) में स्थित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कंपनियां हैं. पिक्सेल एक ऐसी स्पेसटेक स्टार्टअप है जो अपने तीसरे उपग्रह आनंद को लॉन्च करने के लिए तैयार है. आनंद एक हाइपरस्पेक्ट्रल माइक्रोसैटेलाइट है. इसका वजन 15 किलोग्राम से कम बताया गया है, लेकिन इसकी वेवलेन्थ 150 से अधिक है, जिससे यह आज के गैर-हाइपरस्पेक्ट्रल उपग्रहों की तुलना में अधिक विस्तार से पृथ्वी की छवियों को कैप्चर करने में सक्षम है.

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