रथ यात्रा से पहले श्रद्धालुओं की भीड़ नबाजौबन दर्शन के लिए मंदिर में इकट्ठा हुई
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से एक दिन पहले श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिला. बृहस्पतिवार की सुबह हजारों श्रद्धालु श्री जगन्नाथ मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के ‘नबाजौबन दर्शन’ किए. नबाजौबन दर्शन उस पल को कहा जाता है जब भगवान को स्नान के बाद ‘अनासर घर’ (अलगाव कक्ष) से बाहर लाया जाता है. इस दिन वे ‘युवा रूप’ में दर्शन देते हैं. इस दिन उन्हें विशेष पोशाक पहनाकर सजाया जाता है, जिसे ‘नबाजौबन बेशा’ कहते हैं. इस दिन को ‘नेत्र उत्सव’ भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन मूर्तियों की आंखों को रंगा जाता है.
रथ यात्रा से पहले भगवान के दर्शन पर क्यों रहती है रोक?
मंदिर प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि मंदिर सुबह 8 बजे से 10:30 बजे तक नबाजौबन दर्शन के लिए खुला था. जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता भास्कर मिश्रा बताते हैं कि स्नान पूर्णिमा (11 जून) पर भगवान जगन्नाथ को पवित्र जल से स्नान कराए जाने के बाद वे ‘बीमार’ माने जाते हैं. इस दौरान आम दर्शन पर 15 दिनों के लिए रोक लगा दी जाती है. भगवान जगन्नाथ इस समय ‘अनासर’ में रहते हैं.
मंदिर के मुख्य द्वार के सामने भगवानों के तीनों भव्य रथ को खड़ा रखा गया है. इन्हें रथ यात्रा के एक दिन पहले मंदिर परिसर के ‘रथ खड़ा’ (रथ यार्ड) से खींचकर ग्रैंड रोड पर लाया गया है. जिन पर भगवान जगन्नाथ को बैठाकर 27 जून को भव्य रथ यात्रा निकाली जाएगी.
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
त्योहार को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. ओडिशा पुलिस और सीएपीएफ के करीब 10,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं. इसके अलावा पहली बार एनएसजी कमांडो को भी सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है. इसके अलावा 275 एआई-सक्षम कैमरे भी लगाए गए हैं. ओडिशा के डीजीपी वाई बी खुरानिया ने जानकारी दी कि भीड़ प्रबंधन, यातायात नियंत्रण, स्वास्थ्य सुविधाएं और आपात सेवाओं के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं. श्री गुंडिचा मंदिर और आसपास के क्षेत्रों में भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है, जहां भगवानों के रथ एक सप्ताह तक आराम करेंगे. तटीय सुरक्षा के लिए समुद्री पुलिस, कोस्ट गार्ड और नौसेना के जवानों की भी तैनाती की गई है.
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