Jammu Kashmir Election 2024: जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है. अनुच्छेद-370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला विधानसभा चुनाव होगा. 10 साल बाद होने वाला यह विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास होगा. 2014 में जब आखिरी बार यहां विधानसभा चुनाव हुए थे, तब से अब तक काफी कुछ चीजें बदल गयी हैं. सीटों की संख्या भी पहले से थोड़ी बढ़ गयी है. पहले चुनी हुई सरकार ही सबकुछ होती थी, लेकिन अब ज्यादातर शक्तियां उपराज्यपाल के पास होंगी.
बदल गया जम्मू-कश्मीर
पांच अगस्त, 2019 को ही जम्मू-कश्मीर काफी बदल गया था. इसके बाद जम्मू-कश्मीर दो हिस्सों में बंट गया. पहला जम्मू-कश्मीर और दूसरा लद्दाख. दोनों ही अब केंद्र शासित प्रदेश हैं. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भी है, जबकि लद्दाख में ऐसा नहीं है. हालांकि, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भले ही है, लेकिन यहां अब सरकार पहले जैसी नहीं रहेगी. पहले जम्मू-कश्मीर में चुनी हुई सरकार ही सबकुछ थी, लेकिन अब उपराज्यपाल सबसे ऊपर होंगे. पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर पर उपराज्यपाल का अधिकार होगा. जबकि, बाकी सभी मामलों पर चुनी हुई सरकार फैसला कर सकेगी. हालांकि, उपराज्यपाल की मंजूरी जरूरी होगी.
सीटों की संख्या बदली
पहले जम्मू-कश्मीर में कुल 111 सीटें थीं. जम्मू में 37, कश्मीर में 46 और लद्दाख में चार सीटें थीं. पीओके में 24 सीटें होती थीं. अब जम्मू में अब 43, तो कश्मीर में 47 सीटें होंगी. पीओके के लिए 24 सीटें ही आरक्षित हैं. यहां चुनाव नहीं कराये जा सकते. जबकि लद्दाख में विधानसभा ही नहीं है. इस तरह से कुल 114 सीटें हैं, जिनमें से 90 पर चुनाव कराये जायेंगे.
कहां कितनी सीटें बढ़ीं
जम्मू रीजन में सांबा, कठुआ, राजौरी, किश्तवाड़, डोडा और उधमपुर में एक-एक सीट बढ़ायी गयी है. वहीं, कश्मीर रीजन में कुपवाड़ा जिले में एक सीट बढ़ायी गयी है. जम्मू के सांबा में रामगढ़, कठुआ में जसरोता, राजौरी में थन्नामंडी, किश्तवाड़ में पड्डेर-नागसेनी, डोडा में डोडा पश्चिम और उधमपुर में रामनगर सीट नयी जोड़ी गयीं हैं. वहीं, कश्मीर रीजन में कुपवाड़ा जिले में ही एक सीट बढ़ायी गयी है. कुपवाड़ा में त्रेहगाम नयी सीट होगी. अब कुपवाड़ा में पांच की बजाय छह सीटें होंगी.
कश्मीरी पंडितों को क्या मिला
कश्मीरी पंडितों के लिए दो सीटें आरक्षित रखी गयी हैं. हालांकि, इन्हें कश्मीरी प्रवासी कहा गया है. अब उपराज्यपाल विधानसभा के लिए तीन सदस्यों को नामित कर सकेंगे, जिनमें से दो कश्मीरी प्रवासी और एक पीओके से विस्थापित व्यक्ति होगा. जिन दो कश्मीरी प्रवासियों को नामित किया जायेगा, उनमें से एक महिला होगी. कश्मीरी प्रवासी उसे माना जायेगा, जिसने एक नवंबर 1989 के बाद घाटी या जम्मू-कश्मीर के किसी भी हिस्से से पलायन किया हो और उसका नाम रिलीफ कमीशन में रजिस्टर हो.
Read Also : Haryana Assembly Election 2024 : हरियाणा में बीजेपी की क्या है कमजोरी और चुनौती, जानें
कितनी बदली सियासत
पुराने जम्मू-कश्मीर में जम्मू में 37 और कश्मीर में 46 सीटें होती थीं. लेकिन अब जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 सीटें होंगी. जम्मू हिंदू बहुल तो कश्मीर मुस्लिम बहुल इलाका है. जम्मू में छह सीटें बढ़ने से भाजपा को फायदा मिलने की उम्मीद है. 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जम्मू की 25 सीटें (37 में से) जीती थीं. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भी भाजपा जम्मू की दो सीटों- जम्मू और उधमपुर को जीतने में कामयाब रही है. हालांकि, इन दोनों सीटों पर पिछले चुनाव में भी भाजपा ही जीती थी.
Agni Prime Missile : पहली बार रेल लॉन्चर से परीक्षण, मिसाइल भेद सकती है 2,000 किलोमीटर तक के टारगेट को
Watch Video: पानी में डूबे घर, टूटी सड़कें, उत्तरकाशी में बादल फटने से मची तबाही का नया वीडियो आया सामने
Uttarkashi Cloudburst: उत्तराखंड में कुदरत का कहर, अब तक 4 की मौत, सीएम धामी ने नुकसान का लिया जायजा
Heavy Rain Warning: अगले 3 से 4 घंटों के दौरान हिमाचल में भयंकर बारिश की संभावना, IMD अलर्ट जारी