Jammu Kashmir Politics: संसद हमले के दोषी अफजल गुरु पर पिघला उमर अब्दुल्ला का दिल, भड़की बीजेपी
Jammu Kashmir Politics: जम्मू और कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को लेकर ,ऐसी बात कह दी है जिसपर बवाल मच गया है. बीजेपी की ओर से मामले को लेकर रिएक्शन आया है.
By Amitabh Kumar | September 7, 2024 12:05 PM
Jammu Kashmir Politics: नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू और कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को लेकर एक बयान दिया है. इसके बाद राजनीति गरमा चुकी है. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जम्मू-कश्मीर के लिए विजन साफ है. वे विकास की बात करते हैं. यह ऐसा विजन रहा है, जिसने यह सुनिश्चित किया है कि घाटी से कोई आतंक न हो या आतंक को जड़ से उखाड़ फेंका जाए.
#WATCH | On JKNC Vice President Omar Abdullah's remark on Afzal Guru, BJP National Spokesperson Pradeep Bhandari says, "Prime Minister Narendra Modi's vision for Jammu and Kashmir has been a vision of development. It has been a vision which has ensured that there is no terror or… pic.twitter.com/R080YYCoiJ
भंडारी ने कहा कि वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी, राहुल गांधी और उमर अब्दुल्ला आतंकवादियों को समर्थन देने में विश्वास करते हैं. उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि यदि उनका बस चलता तो वे अफजल गुरु को फांसी नहीं होने देते, ये क्या कह रहे हैं वे… एक आतंकवादी को फांसी नहीं होने देते? अब्दुल्ला के बयान से इंडिया गठबंधन की मानसिकता झलकती है, जो आतंकवादियों का समर्थन कर रहे हैं. पिछले 10 सालों में जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की कोई घटना नहीं हुई है और घाटी में आतंकवाद कम हुआ है. हमें पूरा विश्वास है कि जम्मू-कश्मीर के लोग विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को चुनेंगे.
क्या कहा था उमर अब्दुल्ला ने अफजल गुरु को लेकर?
उमर अब्दुल्ला ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी को गलत बताया है. न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ पॉडकास्ट में उन्होंने अपनी राय रखी. एक सवाल के जवाब में अब्दुल्ला ने कहा कि अफजल को फांसी देने से कोई मकसद पूरा नहीं हुआ. यदि हम होते तो इसकी मंजूरी कतई नहीं देते. उन्होंने यह भी कहा कि वे मौत की सजा में विश्वास नहीं रखते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इससे अदालती व्यवस्था पर सवाल उठते हैं.