Justice Yashwant Varma: जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि आंतरिक जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट देने से पहले उन्हें जवाब देने का उचित अवसर नहीं दिया. जस्टिस वर्मा पर आरोप है कि जब वो दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस थे, तब 14 मार्च 2025 को उनके दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लगने की घटना के दौरान दमकलकर्मियों को भारी मात्रा में नकदी मिली थी. मिसमें 500 रुपये के जल-अधजले नोट बरामद किए गए थे. उस समय जस्टिस वर्मा अपने आवास पर नहीं थे.
लोकसभा में लाया जाएगा जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने का प्रस्ताव
भ्रष्टाचार के आरोप का सामना कर रहे जस्टिस यशवंत वर्मा को न्यायाधीश के पद से हटाने के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष का एक संयुक्त प्रस्ताव लोकसभा में लाया जाएगा. राज्यसभा में इसी तरह के प्रस्ताव के लिए विपक्षी दलों का नोटिस विचारार्थ स्वीकार नहीं किया गया था.
जस्टिस वर्मा को पद से हटाने के लिए प्रस्ताव पर 152 सांसदों ने किया हस्ताक्षर
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि न्यायपालिका में कथित भ्रष्टाचार के मामले में, एकजुट होकर आगे बढ़ने का सभी राजनीतिक दलों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि लोकसभा इस प्रस्ताव पर विचार करेगी, जिस पर सत्तारूढ़ गठबंधन (NDA) और विपक्ष के 152 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं. रीजीजू ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों ने इस बात पर सहमति जताई कि जस्टिस वर्मा को हटाने का फैसला संयुक्त रूप से लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कार्यवाही लोकसभा में शुरू की जाएगी और फिर न्यायाधीश (जांच) अधिनियम के अनुसार राज्यसभा में पेश की जाएगी.
ये भी पढ़ें: जस्टिस वर्मा मामले में सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, स्पेशल बेंच का होगा गठन
जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपी की जांच तीन सदस्यीय समिति करेगी
जस्टिस वर्मा के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति द्वारा एक समिति गठित की जाएगी. तीन सदस्यीय समिति में प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) या उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश, किसी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और एक प्रतिष्ठित न्यायविद शामिल होंगे.
क्या है जस्टिस वर्मा से जुड़ा पूरा मामला
दिल्ली में जस्टिस वर्मा के आवास के बाहरी हिस्से में स्थित एक स्टोररूम में लगी आग में अधजले नोटों की गड्डियां बरामद हुई थीं. इस घटना के बाद, जस्टिस वर्मा का स्थानांतरण दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट में कर दिया गया. वहीं, जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने संबंधी तत्कालीन सीजेआई खन्ना के सुझाव को मानने से इनकार कर दिया, जिसके बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस ने समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजकर उन्हें पद से हटाने की सिफारिश की. हालांकि, वर्मा ने खुद के निर्दोष होने का दावा किया है और समिति के निष्कर्षों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.