MP Election 2023: जानें कालापीपल विधानसभा क्षेत्र का समीकरण जहां से राहुल गांधी ने BJP पर चलाए शब्दों के बाण

MP Election 2023 : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पार्टी नेता राहुल गांधी शाजापुर जिले के कालापीपल विधानसभा क्षेत्र पहुंचे. मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार करने आये राहुल गांधी ने बीजेपी सरकार पर जमकर हमला किया. जानें कालापीपल विधानसभा क्षेत्र का क्या है समीकरण

By Amitabh Kumar | September 30, 2023 7:15 PM
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MP Election 2023 : मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पार्टी नेता राहुल गांधी शनिवार को पहुंचे. शाजापुर जिले के कालापीपल विधानसभा क्षेत्र में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्हेंने राज्य को ‘भ्रष्टाचार का केंद्र’ बताया और दावा किया कि बीजेपी शासन के तहत पिछले 18 वर्षों में 18,000 किसानों ने खुदकुशी की है. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में साल के अंत में विधानसभा चुनाव निर्धारित हैं. पिछले चुनाव में यानी साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वनवास प्रदेश से खत्म हुआ था और कांग्रेस ने सरकार यहां बनाई थी. इसके बाद मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत कर दी जिससे कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई. कांग्रेस का दामन छोड़कर सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गये थे. इसके बाद बीजेपी की वापसी प्रदेश में हुई और शिवराज फिर से मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हुए. इस बार यहां चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर की उम्मीद है. यही वजह है कि लगातार कांग्रेस के बड़े नेता मध्य प्रदेश पहुंच रहे हैं. इस क्रम में राहुल गांधी प्रदेश के कालापीपल विधानसभा क्षेत्र पहुंचे. आइए आपको बताते हैं इस विधानसभा का हाल…

कब अस्तित्व में आई कालापीपल विधानसभा

कालापीपल विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो 2008 में परिसीमन के बाद यह अस्तित्व में आई. इस विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. ऐसा कहा जा रहा है कि राहुल गांधी के दौरे के बाद कांग्रेस न सिर्फ इस सीट पर, बल्कि आसपास की अन्य सीटों पर अपनी पकड़ और मजबूत करने में सफल होगी. हालांकि बीजेपी फिर इस सीट को हथियाने की पूरी कोशिश में लगी हुई है. इस सीट पर जातिगत समीकरण हमेशा चुनावी नतीजों को प्रभावित करते नजर आये हैं.

कालापीपल विधानसभा सीट का सियासी इतिहास जानें

कालापीपल पूर्व में शुजालपुर विधानसभा क्षेत्र में आता था, लेकिन 2008 में परिसीमन हुआ. इसके बाद 188 गांवों को जोड़कर कालापीपल विधानसभा बना दी गई. अब इस सीट के इतिहास पर नजर डाते हैं. दरअसल, तीन चुनावों में शुरूआत के दो चुनाव बीजेपी जीतने में सफल रही, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को पटखनी दे दी. कांग्रेस के युवा चेहरे कुणाल चौधरी ने इस सीट पर कब्जा जमाया. कुणाल चौधरी ने पिछले चुनाव में बीजेपी के बाबूलाल वर्मा को 13699 वोटों से पराजित किया. बाबूलाल वर्मा 2008 में इस सीट से विधायक चुने जा चुके हैं. 2008 में उन्होंने कांग्रेस के सरोज मनोरंजन सिंह को 13232 वोटों से मात दी थी. 2013 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो इस चुनाव में बीजेपी ने इस सीट से इंदरसिंह परमार को मैदान में उतारा और उन्होंने कांग्रेस के केदारसिंह मंडलोई को 9 हजार 573 वोटों से मात दी.

कालापीपल विधानसभा क्षेत्र में किसका प्रभाव

कालापीपल विधानसभा क्षेत्र में खाती समाज का प्रभाव है, इसलिए बीजेपी नेता जीतू जिराती इस सीट से टिकट की दावेदारी करते दिख रहे हैं. वहीं कांग्रेस एक बार फिर युवा विधायक कुणाल चौधरी पर भरोसा जता सकती है. क्षेत्र में लगभग 32 हजार से अधिक मतदाता खाती समाज के हैं. वहीं मेवाड़ा समाज के 18 हजार मतदाता हैं जबकि परमार समाज के 16 हजार वोट हैं. खाती समाज का वोट बैंक बड़ा है. यही वजह है कि कांग्रेस के साथ-साथ बीजेपी खाती समाज को अपने पाले में करने का प्रयास कर रही है. यानी जिस भी प्रत्याशी अपने समाज के अलावा अन्य समाज के वोटों पर पकड़ कर ली उसका पलड़ा भारी रहेगा.

कालापीपल विधानसभा क्षेत्र पहुंचे राहुल गांधी ने क्या कहा

मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के कालापीपल विधानसभा क्षेत्र में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने बीजेपी पर जोरदार हमला किया. गांधी ने दावा किया कि बीजेपी के निर्वाचित प्रतिनिधियों के बजाय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और केंद्र सरकार के अधिकारी देश के कानून बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के तुरंत बाद, हम सबसे पहला काम देश में ओबीसी की सही संख्या जानने के लिए जाति-आधारित जनगणना कराएंगे, क्योंकि कोई भी उनकी सही संख्या नहीं जानता है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गांधी ने कहा कि सदन में उद्योगपति गौतम अडाणी के खिलाफ बोलने के बाद उन्हें लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. महिला आरक्षण कानून पर उन्होंने कहा कि इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी की महिलाओं के लिए आरक्षण क्यों नहीं है. उन्होंने कहा कि इसे लागू करने में 10 वर्ष लगेंगे.

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