kanpur police encounter : कानपुर मुठभेड़ के मुख्य आरोपी और गैंगस्टर विकास दुबे के बारे में नया खुलासा हुआ है. विकास दुबे की राजनीतिक नेटवर्क इतना मजबूत था कि थाने में मंत्री दर्जा प्राप्त संतोष शुक्ला की हत्या करने के बाद भी उसके खिलाफ कोई गवाही देने के लिए तैयार नहीं हुआ. विकास दुबे के दर का ही आलम था कि प्रत्यक्षदर्शी रहे 25 पुलिसकर्मी कोर्ट में गवाही देने से मुकर गये और दुबे जमानत पर बाहर आ गया.
हिंदुस्तान टाइम्स ने राजनाथ सिंह सरकार में मंत्री का दर्जा प्राप्त संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला के हवाले से बताया कि 2001 में कानपुर देहात के शिवली थाने में संतोष शुक्ला के हत्या करने के चार महीने बाद विकास दुबे ने नेताओं के साथ कोर्ट में सरेंडर कर दिया. दुबे के सरेंडर करने के साथ ही थाने के सभी 25 पुलिसकर्मी जो कि प्रत्यक्षदर्शी थे, मुकर गए. मनोज बताते हैं कि संतोष को न्याय दिलाने के अभियान में हमारे लिए यह सबसे बड़ा झटका था.
पुलिस ने शुरू की जांच- बाताया जा रहा है कि संतोष शुक्ला मामले की फाइल पुलिस ने फिर से खोल दिया है. पुलिस मामले की सभी पहलूओं से जांच शुरू कर दी है. कानपुर रेंज के एडीजी जय नारायण सिंह ने अखबार को बताया कि इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है, हमने सभी फाइलें मंगाई हैं. इस पर जल्द ही पुलिस अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगी.
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90 घंटे बाद भी पुलिस की हाथ खाली- कानपुर मुठभेड़ के 90 घंटे बाद भी पुलिस अभी तक विकास दुबे और उसके गैंग को दबोच नहीं पाई है. पुलिस विकास दुबे को पकड़ने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दी है, लेकिन दुबे अभी तक हत्थे नहीं चढ़ा है. पुलिस उसकी लास्ट लोकेशन तलाश रही है.
ढाई लाख का इनाम घोषित- लगातार फरार चल रहे कुख्यात अपराधी विकास दुबे पर यूपी पुलिस ने ढाई लाख रुपये का इनाम घोषित कर दिया है और पूरे प्रदेश के टोल नाकों पर उसका पोस्टर लगाने के लिये भी कहा है. कानपुर के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने सोमवार को बताया, ‘विकास दुबे पर अब ढाई लाख रुपये का इनाम घोषित कर दिया गया है. इस आशय का एक प्रस्ताव पुलिस महानिदेशक को भेजा गया था, जहां से इनाम की राशि बढ़ाने की मंजूरी मिलने के बाद सोमवार को इनाी रकम बढ़ा दी गयी है.’ इससे पहले विकास को पकड़ने के लिए दूसरे राज्यों की पुलिस का भी सहारा लिया गया है.
Posted By : Avinish Kumar Mishra