हर कोई कह रहा आई एम कैप्टन विक्रम बत्रा! 21 साल बाद कारगिल हीरो को श्रद्धांजलि, इंडियन आर्मी का ये वीडियो देखिए..
Vikram batra, Kargil hero, yeh dil maange more: कारगिल के शेरशाह के नाम से प्रसिद्ध परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन विक्रम बत्रा आज ही के दिन 1999 में शहीद हुए थे. आज उनके बलिदान दिवस पर सोशल मीडिया पर #VikramBatra ट्रेंड कर रहा है. यूजर्स उनके फेमस डायलॉग ‘ये दिल मांगे मोर’ को भी याद कर रहे हैं.
By Prabhat Khabar Digital Desk | July 7, 2020 1:54 PM
Vikram batra, Kargil hero, yeh dil maange more: कारगिल के शेरशाह के नाम से प्रसिद्ध परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन विक्रम बत्रा आज ही के दिन 1999 में शहीद हुए थे. आज उनके बलिदान दिवस पर सोशल मीडिया पर #VikramBatra ट्रेंड कर रहा है. यूजर्स उनके फेमस डायलॉग ‘ये दिल मांगे मोर’ को भी याद कर रहे हैं. आई एम कैप्टन विक्रम बत्रा!…..सोशल मीडिया पर आज ऐसी पोस्टों की भरमार है. लोग करगिल के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा को याद कर रहे हैं. इसी क्रम में सेना की उत्तरी कमान ने विक्रम बत्रा को खास अंदाज में सलाम किया है. देखें वीडियो…
— NORTHERN COMMAND – INDIAN ARMY (@NorthernComd_IA) July 7, 2020
सेना की उत्तरी कमान ने एक वीडियो ट्वीट किया है, जिसमें 21 साल पहले कारगिल युद्ध में किए गए योगदान को सैल्यूट किया. इस वीडिया की थीम ही है आई एम कैप्टन विक्रम बत्रा!. 2 मिनट सात सेकेंड के इस वीडियो में बताया गया कि आई एम कैप्टन विक्रम बत्रा एंड आई एम बैक. 09.069.1974 को मैं पैदा हुआ लेकिन 07.07.1999 को एक स्टार पैदा हुआ. आई एम बैक..फिर इसके बाद उस युद्ध की छोटी सी कहानी बतायी गई है फिर कई नामचीन हस्तियों सहित बच्चे बोल रहे हैं… आई एम बैक.
बता दें कि 21 साल पहले कारगिल में 5140 की चोटी पर कब्जा करने के बाद रेडियो के जरिए ‘ये दिल मांगे मोर’ कहकर शहीद विक्रम बत्रा ने लोगों का दिल जीत लिया था. आज ही के दिन विजयरथ के सारथी इस वीर ने करगिल की रणभूमि में अपने प्राण त्यागे थे. इसके बाद कैप्टन विक्रम बत्रा, कारगिल की लड़ाई में अपनी जान देने वाले हर युवा सैनिक का चेहरा बन गए. कैप्टन विक्रम बत्रा को उनके अदम्य साहस के लिए भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
उन्होंने अपने सैन्य जीवन की शुरुआत 6 दिसंबर 1997 को भारतीय सेना की 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स से की थी,विज्ञान विषय में स्नातक करने के बाद विक्रम का चयन सीडीएस के जरिए सेना में हो गया. जुलाई 1996 में उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में प्रवेश लिया. दिसंबर 1997 में प्रशिक्षण समाप्त होने पर उन्हें 6 दिसम्बर 1997 को जम्मू के सोपोर नामक स्थान पर सेना की 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति मिली.