कर्नाटक में उगादी त्‍योहार से पहले हिंदू संगठन ने की हलाल मांस पर प्रतिबंध लगाने की मांग

उगादी त्योहार से पहले हिंदू संगठन ने कर्नाटक में हलाल मांस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. संगठन की ओर से बेंगलुरु जिला मजिस्ट्रेट को एक ज्ञापन सौंपा गया है.

By Samir Kumar | March 21, 2023 6:53 PM
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Karnataka Halal Meat Boycott: कर्नाटक में उगादी त्योहार से पहले हिंदू संगठन ने राज्य में हलाल मांस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. संगठन की ओर से बेंगलुरु जिला मजिस्ट्रेट को इस संबंध में सौंपे गए एक ज्ञापन में मांस की दुकानों को हलाल प्रमाणपत्र नहीं देने, हलाल मांस पर प्रतिबंध लगाने और इसके बदले त्योहार के दौरान हिंदुओं को झटका मांस प्रदान करने की मांग की.

पिछले साल भी हुआ था हलाल बनाम झटका मीट को लेकर विवाद

बताते चलें कि कर्नाटक में पिछले साल अगस्त महीने में हलाल बनाम झटका मीट को लेकर विवाद हुआ था. दरअसल, दोनों तरीके से मांस तैयार करने में अंतर हैं. हलाल मांस मुस्लिम समुदाय द्वारा पसंद किया जाता है. हालांकि, कुछ का कहना है कि यह दोनों अधिक यातनापूर्ण तरीका है. हिंदू जनजागृति वैदिक ने भी अधिकारियों से राज्य के हर नुक्कड़ पर झटका मांस की दुकानों को बढ़ावा देने के लिए कहा है.

कर्नाटक में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है उगादी त्‍योहार

कर्नाटक में चैत्र नवरात्रि के पहले दिन उगादी त्‍योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. उगादी त्योहार को भारत के कुछ हिस्सों में गुड़ी पड़वा भी कहा जाता है. यह त्योहार 22 मार्च को मनाया जाएगा. यह आमतौर पर चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मनाया जाता है, जो हिंदू चंद्र कैलेंडर के पहले महीने में आता है और इसे चैत्र के नाम से जाना जाता है. इसलिए, उगादी को हिंदू नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है. वहीं, इसी दिन मुसलमानों का पवित्र रोजा की भी शुरूआत हो रही है.

जन्माष्टमी-रामनवमी के मौके पर भी बंद रहीं थी बूचड़खाने और कसाई की दुकानें

बृहत बेंगलुरु महानगर पालिक (बीबीएमपी) को बेंगलुरु में कई त्योहारों और छुट्टियों के दौरान मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी करने के लिए जाना जाता है. पिछले साल जन्माष्टमी और रामनवमी के मौके पर बूचड़खाने और कसाई की दुकानें बंद रहीं. बीबीएमपी ने कई अवसरों पर ऐसे नियमों की घोषणा की है, जैसे कि बसव जयंती, महा शिवरात्रि, गांधी जयंती, सर्वोदय दिवस और अन्य धार्मिक आयोजन के दौरान ऐसा किया गया था. बीबीएमपी के एक अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया था कि विभिन्न अवसरों पर साल में कम से कम आठ दिन मांस की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध है.

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