M karunanidhi: दक्षिण के  पितामह… एक करिश्माई नेता, समर्थकों के बीच कलाईनार के नाम से विख्यात, मौत पर रो पड़ा था पूरा देश

M karunanidhi: एम करुणानिधि महज 14 साल की उम्र में राजनीति में आ गये थे. उन्होंने हिंदी भाषा विरोधी आंदोलनों के जरिए राजनीति में प्रवेश किया था. इसे बाद तमाम मुश्किलों के बाद भी उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

By Pritish Sahay | August 7, 2024 11:01 AM
an image

M karunanidhi: तमिलनाडु की राजनीति में एम करुणानिधि एक जाना-माना नाम है. उन्हें दक्षिण की राजनीति का पितामह भी कहा जाता है. फिल्मी सफर से लेकर राजनेता और फिर तमिलनाडु के सीएम बनने का उनका सफर फर्श से अर्श का है.  तमिल फिल्मों में महज एक पटकथा लेखक के रूप में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी. लेकिन अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने न सिर्फ तमिल फिल्मों में बल्कि प्रदेश की राजनीति में भी झंडे गाड़े. दक्षिण भारतीय राजनीति की इस मजबूत शख्सियत और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की आज पुण्यतिथि है.

कलाईनार कहकर बुलाते थे समर्थक
करुणानिधि का पूरा नाम मुत्तुवेल करुणानिधि है. अपने जीवन काल तक वो डीएमके के प्रमुख बने रहे. करुणानिधि पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. हालांकि राजनीति में आने से पहले वो तमिल फिल्मों से जुड़े रहे. वो एक अच्छे  नाटककार और पटकथा लेखक थे. इसके अलावा उन्होंने अभिनय भी किया है. कला के प्रति गहरा लगाव होने के कारण उनके समर्थक कई बार उन्हें कलाईनार कहकर संबोधित  करते हैं.

पांच बार बने थे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री
अपने 60 साल से ज्यादा के लंबे राजनीतिक जीवन में एम करुणानिधि तमिलनाडु के पांच बार सीएम रह चुके है. 1969 में एम करुणानिधि पहली बार तमिलनाडु के सीएम बने थे. दरअसल करुणानिधि तत्कालीन डीएमके अध्यक्ष और मुख्यमंत्री अन्नादुरई की मौत के बाद मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद 1971, 1989, 1996 और 2006 में भी वह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने थे.

कैसे हुई राजनीति में एंट्री
एम करुणानिधि महज 14 साल की उम्र में राजनीति में आ गये थे. उन्होंने हिंदी भाषा विरोधी आंदोलनों के जरिए राजनीति में प्रवेश किया था. इसे बाद तमाम मुश्किलों के बाद भी उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. हिन्दी विरोधी आंदोलन के लिए उन्होंने तमिलनाडु तमिल मनावर मंदरम का गठन किया. जो द्रविड़ आंदोलन की पहली छात्र शाखा थी.

1957 में मद्रास राज्य विधानमंडल के लिए हुआ चयन
एम करुणानिधि को राजनीति जीवन में पहली सफलता तब मिली जब 1957 में उनका चुनाव मद्रास राज्य विधानमंडल के लिए हुआ. डीएमके जब पहली बार राज्य विधानमंडल में शामिल हुआ तो करुणानिधि को कोषाध्यक्ष और विपक्ष का उपनेता बनाया गया. इसके बाद 1969 में सीएन अन्नादुरई की मौत के बाद वे डीएमके के नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने.

छोटी उम्र में ही नाट्य प्रस्तुतियों में लेने लगे थे हिस्सा
एम करुणानिधि ने छोटी उम्र में ही नाट्य प्रस्तुतियों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था. उन्होंने इसी दौरान नाटकों की रचना करना भी शुरू कर दिया था. बाद में उन्होंने फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट लिखना शुरू किया. इसके अलावा उन्होंने कई पटकथाएं, ऐतिहासिक उपन्यास, आत्मकथा, कविताएं और उपन्यास भी लिखे.

विवादों से भी रहा नाता, गिरफ्तार भी हुए
करुणानिधि का नाता विवादों से भी रहा था. भगवान राम के ऊपर टिप्पणी करने के कारण देशभर में उनकी किरकिरी हुई थी. इसके अलावा साल 2001 में एम करुणानिधि, पूर्व मुख्य सचिव केए नाम्बिआर समेत कई और लोगों पर फ्लाईओवर बनाने में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके अलावा उन पर लिट्टे के समर्थन का भी आरोप लगा था.

करुणानिधि ने की थी तीन शादियां
एम करुणानिधि ने तीन शादियां की थी.  हालांकि उनकी तीन पत्नियों के नाम पद्‍मावती, दयालु और रजती हैं. उनके कुल 4 बेटे और 2 बेटियां हैं. उनके चार बेटों एमके मुथू, एमके अलागिरी, एमके स्टालिन, एमके तमिलरासू. वहीं बेटियों में सेल्वी और कनिमोझी हैं. बता दें, एम करुणानिधि का जन्म 3 जून 1924 को तमिलनाडु के तिरुवरूर के तिरुकुवालाई गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम मुथूवेल और माता का नाम अंजुगम है. करुणानिधि ईसाई वेल्लार समुदाय से ताल्लुक रखते थे.  कुछ विवादों को छोड़ दें तो करुणानिधि तमिलनाडु के चंद महान नेताओं में शुमार है. उन्हें तमिल राजनीति का पितामह कहा जाता है. 7 अगस्त 2018 को 94 साल की आयु में उन्होंने तमिलनाडु के चेन्नई में पूरे देश को रोता बिलखता छोड़कर दुनिया को अलविदा कह दिया. आज उनकी पुण्यतिथी पर पूरा देश उन्हें कर रहा है शत् शत् नमन… करुणानिधि बड़ी शख्सियत के नेता थे. राजनीति में उनका विरोध किया जा सकता है, विरोधी भी हो सकते हैं लेकिन उन्हें तमिलनाडु और देश की राजनीति से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

Also Read: Sheikh Hasina: भारत से कहां जाएंगी शेख हसीना! शरण देने पर ब्रिटेन का रुख साफ नहीं, इन देशों में बना सकती है ठिकाना

बांग्लादेश हिंसा के पीछे चीन जिम्मेदार या पाकिस्तानी ISI का हाथ… देखें वीडियो

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version