MP Election 2023: मध्यप्रदेश में गुजरे साढ़े तीन दशक के दौरान हुए अलग-अलग चुनावों में एक-दो दफा नहीं, बल्कि 18 बार जमानत जब्त होने के बावजूद इंदौर के परमानंद तोलानी ने हिम्मत नहीं हारी है. ‘‘इंदौरी धरतीपकड़’’ के नाम से मशहूर 63 वर्षीय तोलानी ने एक बार फिर जीत के अरमान और खानदान की परंपरा को निभाते हुए 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए पर्चा भर दिया है.
निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा
तोलानी ने इंदौर-4 विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सोमवार को पर्चा भरा. नामाकंन दाखिल करने के बाद उन्होंने “पीटीआई-भाषा” को बताया,”यह मेरा 19वां चुनाव होगा. इससे पहले, मैं लोकसभा, विधानसभा और महापौर पद के लिए 18 बार चुनाव लड़ चुका हूं.’’ उन्होंने बताया कि वह एक बार अपनी पत्नी लक्ष्मी तोलानी को भी नगरीय निकायों के चुनावों में उतार चुके हैं क्योंकि तब महापौर का पद महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित कर दिया गया था.
तोलानी, पेशे से रीयल एस्टेट कारोबारी
तोलानी, पेशे से रीयल एस्टेट कारोबारी हैं. उनका कहना है कि जमानत जब्त होने से चुनाव लड़ने के उनके उत्साह पर कोई फर्क नहीं पड़ता बल्कि हर हार के साथ उनका आत्मविश्वास और बढ़ जाता है. उन्होंने कहा,”इंदौर की जनता बहुत समझदार है. मुझे पूरी उम्मीद है कि वह मुझे एक न एक बार चुनाव जरूर जिताएगी.”
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तोलानी ने कहा कि इस बार मतदाताओं से उनका वादा है कि चुनाव जीतने पर वह 1,000 वर्ग फुट तक के क्षेत्रफल वाली इमारतों पर उन्हें संपत्ति कर से पूरी छूट दिलाएंगे और घर से कचरा उठाने के बदले नगर निगम द्वारा वसूला जाना वाला शुल्क भी माफ कराएंगे.
दो पीढ़ियों से लगातार चुनाव लड़ने के लिए मशहूर
तोलानी का परिवार दो पीढ़ियों से लगातार चुनाव लड़ने के लिए मशहूर है और हर बार इसके सदस्यों की जमानत जब्त हुई है. उन्होंने बताया कि शहर में एक प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाले उनके पिता मेठाराम तोलानी ने अपने जीवनकाल में 30 साल तक लगातार अलग-अलग चुनाव लड़े थे. तोलानी ने बताया,‘‘वर्ष 1988 में मेरे पिता के निधन के बाद 1989 से मैंने चुनाव लड़ना शुरू कर दिया था.”
अगली पीढ़ी भी चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार
तोलानी परिवार की अगली पीढ़ी भी चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हो रही है. तोलानी की बेटी निशा (32) ने कहा,‘‘फिलहाल तो मेरा ध्यान अपने रोजगार पर है, पर भविष्य में जरूरत पड़ी तो मैं और मेरी बहन चुनाव लड़ने की अपनी खानदानी परंपरा को जरूर आगे बढ़ाएंगे.’’
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