Holi 2025 : जलती च‍िताओं के बीच खेली जाती है ‘चिता भस्म होली’, भूतों के लिए श्मशान आते हैं बाबा 

Holi 2025 : रंगभरी एकादशी के दिन महादेव देवी देवता और भक्तों के साथ होली खेलते हैं. ऐसे में वहां पर भूत-प्रेत, पिशाच, किन्नर का जाना मना रहता है. ऐसे में भोलेनाथ अपने गणों के साथ च‍िता भस्म की होली खेलने श्मशान जाते हैं.

By Prashant Tiwari | March 14, 2025 5:50 AM
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Holi 2025 : होली खेले मसाने में…भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी काशी की होली भी निराली होती है. दुनिया का एक ऐसा हिस्सा, जहां महादेव भूत-प्रेत और अपने गण के साथ चिता भस्म की होली खेलते हैं. ये होली कहीं और नहीं, बल्कि रंगभरी एकादशी के ठीक एक दिन बाद श्मशान में खेली जाती है. भूतनाथ की मंगल होली और बनारस के इस रंग से आइए कराते हैं आपको रूबरू… 

श्मशान में बजती है शहनाई की मंगल ध्वनि

इस बार मसाने या चिता भस्म की होली रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन 11 मार्च को मनाई गई. जो महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर खेली गई. मसाने होली के आयोजक और महाश्मशान नाथ मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने बताया, “सुबह से भक्त जन च‍िता भस्म से खेली जाने वाली होली की तैयारी में लग जाते हैं. जहां दुःख और अपनों से बिछड़ने का संताप देखा जाता था, वहां उस दिन शहनाई की मंगल ध्वनि बजती है. शिव के भक्त उस दिन खासा उत्साह में नजर आते हैं.

मणिकर्णिका महाश्‍मशान पर आकर च‍िता भस्म से होली खेलते हैं महादेव

गुलशन कपूर ने काशी के चिता भस्म होली महत्ता और मान्यता पर बताया, “ मान्यता है कि महादेव दोपहर में स्नान करने मणिकर्णिका तीर्थ पर आते हैं और यहां जो भी स्नान करता है, उसे पुण्य मिलता है. बाबा स्नान के बाद अपने गण के साथ मणिकर्णिका महाश्‍मशान पर आकर च‍िता भस्म से होली खेलते हैं. वर्षों की यह परंंपरा कई सालों चली आ रही है, जिसे भक्त भव्य तरीके से मनाते हैं. काशीवासियों के लिए ये दिन खास मायने रखता है.

इसी दिन गौना कराकर काशी आई थी माता पार्वती

गुलशन कपूर ने कार्यक्रम के बारे में बताया, “काशी में यह मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का गौना (विदाई) कराकर अपने धाम काशी लाते हैं, जिसे उत्सव के रूप में काशीवासी मनाते हैं. रंग भरी एकादशी के दिन ही बाबा माता को काशी का भ्रमण भी कराते हैं और इसी दिन से रंगों के त्योहार होली का प्रारम्‍भ भी माना जाता है. इस उत्सव में देवी, देवता, यक्ष, गंधर्व के साथ भक्तगण भी शामिल होते हैं.

जलती च‍िताओं के बीच मनाया जाता है ‘चिता भस्म होली’

गुलशन कपूर ने बताया, “जब बाबा रंगभरी एकादशी के दिन देवी देवता और भक्तों के साथ होली खेलते हैं तो वहां पर भूत-प्रेत, पिशाच, किन्नर का जाना मना रहता है. ऐसे में भोलेनाथ भला अपने गण के साथ होली कैसे नहीं खेलते? ऐसे में भोलेनाथ उनके साथ च‍िता भस्म की होली खेलने श्मशान में जाते हैं. पारंपरिक उत्सव काशी के मणिकर्णिका घाट पर जलती च‍िताओं के बीच मनाया जाता हैं, जिसे देखने के लिए दुनिया भर से लोग काशी आते हैं. महाश्मशान नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष चंद्रिका प्रसाद गुप्ता ने बताया कि यहां होली में आम लोगों का जाना मना है.

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