Malegaon Blast Verdict : एनआईए कोर्ट ने मालेगांव बम धमाका मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट ने आरोपियों को यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम), आर्म्स एक्ट और अन्य सभी आरोपों से मुक्त कर दिया. 2008 मालेगांव बम धमाके मामले में एनआईए कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया. अदालत ने माना कि मालेगांव में धमाका हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं हो सका कि वह बम उसी मोटरसाइकिल में रखा गया था. कोर्ट ने यह भी कहा कि घायलों की संख्या 101 नहीं बल्कि 95 थी. कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट में गड़बड़ी पाई गई.
NIA Court acquits all accused in Malegaon blast case | Accused acquitted of all charges of Unlawful Activities (Prevention) Act (UAPA), Arms Act and other charges. https://t.co/GNyiAclfz7
— ANI (@ANI) July 31, 2025
कोर्ट ने कहा, “इस मामले में यूएपीए लागू नहीं किया जाएगा क्योंकि नियमों के अनुसार मंजूरी नहीं ली गई थी. मामले में यूएपीए के दोनों मंजूरी आदेश दोषपूर्ण हैं” एनआईए कोर्ट ने कहा कि श्रीकांत प्रसाद पुरोहित के घर में विस्फोटक जमा करने या उसे जोड़ने के कोई सबूत नहीं मिले. जांच अधिकारी ने पंचनामा के दौरान घटनास्थल का कोई स्केच नहीं बनाया. न ही फिंगरप्रिंट, डेटा या अन्य सबूत जुटाए गए. नमूने भी दूषित थे, इसलिए रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता. जिस बाइक से धमाका जुड़ा बताया गया, उसका चेसिस नंबर भी साफ नहीं था. अदालत ने यह भी कहा कि यह साबित नहीं हो सका कि धमाके से ठीक पहले वह बाइक साध्वी प्रज्ञा के पास थी.
मामले में आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी के वकील एडवोकेट रंजीत नायर ने कहा, “सभी आरोपी इस मामले में बरी हो गए हैं. कोर्ट ने कहा कि घटनास्थल पर मिले मोबाइल फोन और वाहनों के मालिक का कोई पुख्ता सबूत नहीं है. केस की जांच एटीएस ने की थी. कोर्ट ने यह भी कहा कि फोन बिना अनुमति के टैप किए गए. उस समय एनसीपी-कांग्रेस की सरकार थी और उन्होंने इसे राजनीतिक फायदे के लिए किया. अब साफ हो गया है कि आरोपियों के खिलाफ कोई गवाह नहीं है.”
Addressing the judge in the NIA Court, Sandhvi Pragya Singh says, "I said this from the very beginning that those who are called for investigation there should be a basis behind that. I was called by them for investigation and was arrested and tortured. This ruined my whole life.… https://t.co/GNyiAclNoF pic.twitter.com/zSxIYurGX0
— ANI (@ANI) July 31, 2025
साध्वी प्रज्ञा सिंह ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैंने शुरू से ही कहा था कि किसी को जांच के लिए बुलाने के पीछे कोई ठोस कारण होना चाहिए. मुझे बिना कारण बुलाया गया, गिरफ्तार किया गया और यातना दी गई. मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई. मैं संन्यासी जीवन जी रही थी, लेकिन मुझे आरोपी बना दिया गया और कोई साथ नहीं खड़ा हुआ. मैं आज भी इसलिए जिंदा हूं क्योंकि मैं एक संन्यासी हूं. भगवा को बदनाम करने की साजिश की गई थी. आज भगवा और हिंदुत्व की जीत हुई है. भगवान दोषियों को सजा देंगे.”
कोर्ट के फैसले से पहले आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के वकील एडवोकेट जेपी मिश्रा ने कहा, “थोड़ी देर में फैसला आएगा. सच्चाई की जीत होगी.”
#WATCH | Mumbai, Maharashtra: On NIA Court to pronounce verdict in 2008 Malegaon bomb blast case | Advocate JP Mishra, accused Sadhvi Pragya Singh Thakur's lawyer says, "The verdict will come in a little while. Truth will win." pic.twitter.com/T1W65miaBm
— ANI (@ANI) July 31, 2025
पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर सहित इन लोगों पर चलाया गया मुकदमा
बीजेपी की नेता और पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर तथा लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सात आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज अपराधों के लिए मुकदमा चलाया गया. इस मामले में मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी अन्य आरोपी थे.
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मामले की जांच करने वाले राष्ट्रीय अन्वेष्ण अभिकरण (एनआईए) ने आरोपियों के लिए “उचित सजा” की मांग की थी. इस घटना के संबंध में 2018 में शुरू हुआ मुकदमा 19 अप्रैल, 2025 को समाप्त हो गया. अदालत ने मामले को फैसले के लिए सुरक्षित रख लिया था.
29 सितंबर 2008 को हुआ था धमाका
मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर एक कस्बे में 29 सितंबर 2008 को मस्जिद के पास खड़ी एक मोटरसाइकिल से बंधा विस्फोटक फट गया. इसमें छह लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हो गए थे. एनआईए ने इस मामले में दी अपनी अंतिम दलील में कहा था कि षड्यंत्रकारियों ने मालेगांव विस्फोट की साजिश मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों में डर फैलाने, आवश्यक सेवाओं को बाधित करने, साम्प्रदायिक तनाव फैलाने और राज्य की आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए रची थी.
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