Manipur Violence: मणिपुर का उखरुल एक ऐसा जगह है, जहां एक छत के नीचे कुकी, मैतेई और नागा समुदाय के लोगों में आपसी प्यास और सद्भवना दिख रहा है. वहां की हवा में नफरत के विष नहीं हैं, बल्कि दोस्ती और भाईचारे की खुशबू रची-बसी है. दरअसल उखरुल में असम राइफल्स सेंटर ऑफ एजुकेशनल एक्सीलेंस में कुकी, मैतेई और नागा समुदायों की 37 छात्राएं एक ही छत के नीचे पढ़ती हैं और एनईईटी के लिए कोचिंग कक्षाओं में भाग लेती हैं.
#WATCH | Manipur: 37 girl students from Kuki, Meitei and Naga communities study under one roof and attend coaching classes for NEET, at Assam Rifles Centre of Educational Excellence in Ukhrul pic.twitter.com/yap8tF38DY
— ANI (@ANI) April 27, 2024
कुकी समुदाय की छात्रा ने क्या कहा
Manipur Violence: कुकी समुदाय की एक लड़की सोफिया ने कहा, मैं एक ऐसी जगह से आई हूं जहां स्थिति बहुत तनावपूर्ण थी. लेकिन असम राइफल्स ने हमारी अच्छी देखभाल की और यह मौका दिया इसलिए हम सभी बहुत आभारी हैं. मेरी मां और पिता किसान हैं और वे इस समय राहत शिविर में हैं. यहां जाति, पंथ और धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है, यहां हम एक हैं और हमारा एक उद्देश्य है.
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#WATCH | Sofia, a girl from Kuki community says, " …I came from a place where the situation was very tense but Assam Rifles took good care of us and gave this opportunity so we're all very thankful…my mother and father are farmers and they're in relief camp currently…there… pic.twitter.com/YPySoyx4PU
— ANI (@ANI) April 27, 2024
असम राइफल्स की सुरक्षा में हम कर रहे पढ़ाई : मैतेई समुदाय की छात्रा
मैतेई समुदाय की एक छात्रा रोनिता ने कहा, यहां, मणिपुर के विभिन्न जगहों से छात्र आए हैं और हम एक साथ पढ़ते हैं. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. यहां आना मुश्किल नहीं था क्योंकि असम राइफल्स ने हमें यहां सुरक्षित रूप से पहुंचाया. हम हमें पढ़ाई में भी कोई कठिनाई नहीं हो रही है क्योंकि असम राइफल्स हमारी सभी आवश्यकताओं को पूरा करती है.
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3 मई 2023 को मणिपुर में क्यों भड़की थी हिंसा?
पिछले साल 3 मई को कुकी और मैतेई समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए थे. दोनों के बीच हिंसा की जो आग राज्य में भड़की, वहीं अबतक नहीं बुझी है. दरअसल मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘ट्राइबल सॉलिडारिटी मार्च’ (आदिवासी एकजुटता मार्च) का आयोजित किया गया था. यह मार्च कुकी समुदाय के ओर से आयोजित किया गया था. इसी दौरान हिंसा भड़क उठी. अबतक उस हिंसा की वजह से 200 से अधिक लोगो की मौत हो चुकी है.
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