फायर ब्रिगेड अधिकारियों ने बताया कि धमाका संभवतः विस्फोटक केमिकल मिलाने के दौरान हुआ. जिस कमरे में धमाका हुआ, वह पूरी तरह जलकर राख हो गया. हादसे की खबर मिलते ही आसपास के गांवों के लोग घटनास्थल पर इकट्ठा हो गए. पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन घटनास्थल पर सुरक्षा मानकों की भारी अनदेखी सामने आई है.
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यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी विरुधुनगर जिले में पटाखा फैक्ट्रियों में दो बड़े हादसे हो चुके हैं, जिनमें 14 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 12 महिलाएं भी शामिल थीं. ये हादसे रंगापलयम इलाके की पटाखा फैक्ट्रियों में हुए थे. उस समय तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मृतकों के परिजनों को 3 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायल लोगों को 1 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की थी.
रंगापलयम की पटाखा फैक्ट्री के मलबे से 7 शव बरामद किए गए थे, लेकिन उनकी शिनाख्त आज तक नहीं हो पाई. पुलिस जांच में यह खुलासा हुआ है कि इलाके में बिना लाइसेंस के कई पटाखा फैक्ट्रियां चल रही हैं. इन अवैध फैक्ट्रियों में बार-बार हादसे हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन और पुलिस की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. अवैध गतिविधियों पर रोक न लगने की वजह से ऐसी घटनाएं लगातार दोहराई जा रही हैं.
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