MHA: आपदा को संभालने के लिए तैयारी और जागरूकता जरूरी

आपदा की अनिश्चितता को संभालने के लिए तैयारी और जागरूकता महत्वपूर्ण है. खतरे और कमजोरियों का परिदृश्य बदल रहा है, इसलिए राज्यों को अपनी तैयारी के स्तर को बढ़ाना चाहिए.

By Anjani Kumar Singh | June 17, 2025 7:06 PM
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MHA: राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के राहत आयुक्तों और राज्य आपदा मोचन बलों के दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन का समापन मंगलवार को हो गया. प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि आपदा की अनिश्चितता को संभालने के लिए तैयारी और जागरूकता महत्वपूर्ण है. खतरे और कमजोरियों का परिदृश्य बदल रहा है, इसलिए राज्यों को अपनी तैयारी के स्तर को बढ़ाना चाहिए. राहत और प्रतिक्रिया दृष्टिकोण (रिलीफ एंड रिस्पांस अप्रोच) से तैयारी और शमन दृष्टिकोण (प्रिपेयरडनेस एंड मिटिगेशन अप्रोच) की ओर कदम बढ़ाने के लिए राज्यों को सीखे गए सबक को संस्थागत रूप देने की आवश्यकता है. यह आवश्यक है ताकि पिछली आपदाओं से मिली सीख भुलाई न जा सके. राज्यों को अपने संस्थानों, प्रक्रियाओं और प्रणालियों को पुनः समायोजित और सक्रिय करने की आवश्यकता है, ताकि आपदा की स्थिति में वे जानमाल की हानि को रोककर ऐसी स्थिति से निपटने के लिए खुद को तैयार रख सकें.

तेजी से विकसित हो रहे हैं जोखिम

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने कहा कि यह वार्षिक सम्मेलन एक नियमित आयोजन से कहीं अधिक है. यह आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए हमारे सामूहिक दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करने, उसका पुनरावलोकन करने और उसे सुदृढ़ करने का एक साझा अवसर है. आपदाओं की प्रकृति बदल रही है और हमें इस वास्तविकता को स्वीकार करना होगा कि खतरे आपस में जुड़े हुए हैं, प्रभाव कई गुना बढ़ रहे हैं और जोखिम हमारी अनुकूलन गति से कहीं तेजी से विकसित हो रहे हैं. उन्होंने आने वाले दिनों में कुछ कार्यो पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें  राज्यों को रिकवरी और शमन निधि का उचित उपयोग सुनिश्चित करना, एक मजबूत राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के अलावा, राज्यों को आपदा राहत कार्यों में शामिल एजेंसियों की क्षमता में बढ़ोतरी का आकलन और उनमें निवेश करना, प्रतिक्रिया की गति में सुधार सहित आपदाओं के लिए पहले से चेतावनी देने के मामले में अभी भी बहुत कुछ किये जाने की जरूरत है. 

समुदाय की भागीदारी बढ़ाने पर जोर 

मिश्रा ने कहा कि कुछ आपदाओं में नुकसान की क्षमता अनुमान से कहीं ज़्यादा पाई जाती है. उदाहरण के लिए, सूखे से जीवन और आजीविका पर गंभीर असर पड़ने की आशंका होती है. इन दिनों बिजली गिरना सबसे ज़्यादा जानलेवा आपदाओं में से एक के रूप में सामने आ रहा है. इसलिए, इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए हमारे शमन प्रयासों को फिर से संतुलित किया जाना चाहिए. राज्यों को आपदा जोखिम कम करने के लिए कम लागत लेकिन उच्च प्रभाव वाले हस्तक्षेपों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. शहरी बाढ़ के समाधान में स्थानीय भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों को ध्यान में रखना चाहिए.

आपदा प्रतिक्रिया की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए आपदा मित्र के माध्यम से समुदाय की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है. राज्यों को यह समझना चाहिए कि आपदाओं के बाद लोगों की जान बचाने में जन-भागीदारी कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. प्रधानमंत्री की ‘माय भारत’ पहल का उपयोग आपदा प्रतिक्रिया में युवाओं को शामिल करने के लिए किया जा सकता है. दो दिवसीय सम्मेलन में राज्य सरकारों/केन्द्र शासित प्रदेशों, केन्द्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों/संगठनों और राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में एसडीआरएफ /सिविल डिफेंस/होमगार्डस/फायर सर्विसेज से 1000 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

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