National Security Advisory Board: पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की गतिविधियों के बीच, मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) के स्वरूप में बड़ा बदलाव किया है. इस बदलाव के तहत, देश के शीर्ष खुफिया एजेंसी RAW के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी को NSAB का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. यह कदम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक प्रभावी और समन्वित बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है.
NSAB का नया स्वरूप
पुनर्गठित राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड अब सात सदस्यों वाला होगा, जिसमें रक्षा, खुफिया और कूटनीति के क्षेत्र से आने वाले विशेषज्ञ शामिल हैं. बोर्ड में तीन सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी, दो सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और एक सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारी शामिल किए गए हैं. इस विविध संरचना से उम्मीद की जा रही है कि सुरक्षा मामलों पर संतुलित और बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया जाएगा.
आलोक जोशी की भूमिका और महत्व
आलोक जोशी एक अनुभवी खुफिया अधिकारी हैं. वे 1976 बैच के हरियाणा कैडर के आईपीएस अधिकारी रहे हैं. उन्होंने 2012 से 2014 तक RAW के प्रमुख के तौर पर कार्य किया और इसके बाद 2015 से 2018 तक राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO) के चेयरमैन रहे. खुफिया और तकनीकी सुरक्षा के क्षेत्रों में उनके अनुभव को देखते हुए, उनकी नियुक्ति को रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है.
The Government has revamped the National Security Advisory Board.
— ANI (@ANI) April 30, 2025
Former R&AW chief Alok Joshi has been appointed as its Chairman. Former Western Air Commander Air Marshal PM Sinha, former Southern Army Commander Lt Gen AK Singh and Rear Admiral Monty Khanna are the retired… pic.twitter.com/bMqOiIK9TC
जोशी को नेपाल और पाकिस्तान में गहरे खुफिया नेटवर्क और ऑपरेशनों का अनुभव है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में NSAB को और अधिक सक्रिय और आधुनिक बनाने की रणनीति के तहत उनकी नियुक्ति एक निर्णायक कदम है. उनके नेतृत्व में बोर्ड से यह उम्मीद की जा रही है कि वह साइबर सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी रणनीतियों और क्षेत्रीय भू-राजनीतिक खतरों पर विशेष ध्यान देगा.
बोर्ड के अन्य प्रमुख सदस्य
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) ए.के. सिंह: दक्षिणी सेना के पूर्व कमांडर, जिन्हें जमीनी रणनीति और सैन्य संचालन का व्यापक अनुभव है.
एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) पी.एम. सिन्हा: वायुसेना में उच्चस्तरीय रणनीति और संचालन के विशेषज्ञ.
रियर एडमिरल (सेवानिवृत्त) मॉन्टी खन्ना: समुद्री सुरक्षा और नौसैनिक रणनीति के जानकार.
राजीव रंजन वर्मा और मनमोहन सिंह: दोनों पूर्व IPS अधिकारी हैं, जिनका अनुभव आंतरिक सुरक्षा, खुफिया जानकारी और आतंकवाद विरोधी कार्यों में गहरा है.
बी. वेंकटेश वर्मा: भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी, जो रूस में भारत के राजदूत रह चुके हैं और अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक मामलों में विशेषज्ञ हैं.
NSAB की भूमिका और ऐतिहासिक योगदान
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) को नीति निर्माण के लिए दीर्घकालिक सुझाव और विश्लेषण प्रदान करता है. इसकी स्थापना 1998 में वाजपेयी सरकार के समय हुई थी. अतीत में इस बोर्ड ने परमाणु नीति का मसौदा तैयार किया, रणनीतिक रक्षा समीक्षा की और राष्ट्रीय सुरक्षा की व्यापक समीक्षा में योगदान दिया.
बोर्ड आमतौर पर हर महीने बैठक करता है और आवश्यकतानुसार नीतिगत सलाह प्रदान करता है. इसके योगदान ने भारत की रक्षा और सुरक्षा नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
वर्तमान परिप्रेक्ष्य और भविष्य की दिशा
वर्तमान में भारत जिन सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, उनमें पाकिस्तान के साथ सीमा पर तनाव, चीन की आक्रामक गतिविधियां, साइबर युद्ध की संभावनाएं और आतंकवाद के नए रूप प्रमुख हैं. इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने NSAB को और अधिक प्रभावशाली, तकनीकी रूप से सक्षम और रणनीतिक रूप से केंद्रित बनाने की दिशा में यह बदलाव किया है.
भविष्य में NSAB से यह अपेक्षा की जा रही है कि वह लंबे समय से लंबित राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (National Security Strategy – NSS) को अंतिम रूप देने में निर्णायक भूमिका निभाएगा. यह रणनीति भारत की रक्षा, विदेश नीति और तकनीकी सुरक्षा को एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करेगी.
आलोक जोशी जैसे अनुभवी अधिकारी के नेतृत्व में, और विविध पृष्ठभूमि वाले विशेषज्ञों की मौजूदगी में नया NSAB भारत की सुरक्षा नीतियों को आधुनिक, व्यापक और सुदृढ़ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है. यह पुनर्गठन भारत को तेजी से बदलते वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य में अधिक प्रभावशाली भूमिका निभाने में सहायता करेगा.
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