भारत में मंकीपॉक्स की इंट्री हो चुकी है. विदेश से केरल लौटे एक व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्ष्ण देखे गए थे. जिसके बाद उसके सैंपल को जांच के लिए भेजा गया था. जिसमें मंकीपॉक्स वायरस की पुष्टि हुई. केरल सरकार की ओर से मंकीपॉक्स को लेकर गाइडलाइन जारी किया गया है. स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि डब्ल्यूएचओ और आईसीएमआर द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी कदम उठाए जा रहे हैं.
क्या है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है, जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोसिस (जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित होने वाला वायरस) है, जिसमें चेचक के रोगियों में अतीत में देखे गए लक्षणों के समान लक्षण होते हैं, हालांकि यह चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर है. मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक चलने वाले लक्षणों के साथ एक आत्म-सीमित बीमारी है.
मंकीपॉक्स के खतरनाक लक्षण
सीडीसी के अनुसार मंकीपॉक्स के लक्षण चिकनपॉक्स की तरह ही होते हैं. ये ज्यादा खतरनाक नहीं है. आइए जानते है क्या है मंकीपॉक्स के लक्षण
-
सिरदर्द
-
बुखार
-
लिंफ नोड्स में सूजन
-
शरीर में दर्द और कमर दर्द
-
ठंड लगना
-
थकान महसूस करना
-
चेहरे और मुंह के अंदर छाले होना
-
हाथ-पैर में रैशेज होना
मंकीपॉक्स से बचने के उपाय
सीडीसी के अनुसार मंकीपॉक्स से बचने के लिए काफी सावधानी बरतने की जरुरत है.
-
मंकीपॉक्स का लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें.
-
मंकीपॉक्स के लक्षण जैसे स्कीन में रैशेज हो तो, दूसरे के संपर्क में आने से बचे.
-
जिस व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण दिख रहे हैं, उनकी चादर, तौलिया या कपड़ों जैसी पर्सनल चीजों का इंस्तेमाल ना करें.
-
बार-बार अपने हाथों को साबुन या फिर सैनिटाइजर से साफ करें.
-
मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते ही घर के एक कमरे में रहे.
-
अपने पालतू जानवरों से भी दूरी बनाकर रखें.
Also Read: Monkeypox: UAE से केरल पहुंचे व्यक्ति में मंकीपॉक्स की पुष्टि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किया निर्देश
1970 में आया था पहला मामला
मंकीपॉक्स की खोज 1958 में हुई थी, जब शोध के लिए रखे गए बंदरों की कॉलोनियों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे. “मंकीपॉक्स” नाम होने के बावजूद, बीमारी का स्रोत अज्ञात है. मानव मंकीपॉक्स की पहचान पहली बार 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में 9 महीने के एक लड़के में हुई थी, जहां 1968 में चेचक को समाप्त कर दिया गया था. तब से, अधिकांश मामले ग्रामीण, वर्षावन क्षेत्रों से सामने आए हैं. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, कांगो बेसिन, विशेष रूप से कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में और मानव मामले पूरे मध्य और पश्चिम अफ्रीका से तेजी से सामने आए हैं.
Agni Prime Missile : पहली बार रेल लॉन्चर से परीक्षण, मिसाइल भेद सकती है 2,000 किलोमीटर तक के टारगेट को
Watch Video: पानी में डूबे घर, टूटी सड़कें, उत्तरकाशी में बादल फटने से मची तबाही का नया वीडियो आया सामने
Uttarkashi Cloudburst: उत्तराखंड में कुदरत का कहर, अब तक 4 की मौत, सीएम धामी ने नुकसान का लिया जायजा
Heavy Rain Warning: अगले 3 से 4 घंटों के दौरान हिमाचल में भयंकर बारिश की संभावना, IMD अलर्ट जारी