Monkeypox: कोरोना वायरस के नए वेरिएंट के खतरे के बीच दुनिया भर में तेजी से फैल रहे मंकीपॉक्स को लेकर भारत में भी टेंशन बढ़ने लगा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और आईसीएमआर (ICMR) को स्थिति पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया है. साथ ही हवाईअड्डे और बंदरगाह के स्वास्थ्य अधिकारियों को भी सतर्क रहने के लिए कहा गया है.
कड़ी नजर रखने और निगरानी करने का निर्देश
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट में एक आधिकारिक सूत्र के हवाले से बताया गया है कि उन्हें निर्देश दिया गया है कि मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा के इतिहास वाले किसी भी बीमार यात्री को अलग कर दिया जाए और नमूने जांच के लिए पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की बीएसएल4 सुविधा को भेजे जाएं. अधिकारी की मानें तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने गुरुवार को राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और आईसीएमआर को भारत में स्थिति पर कड़ी नजर रखने और निगरानी करने का निर्देश दिया.
ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामलों की संख्या बढ़कर 20 हुई
इधर, ब्रिटेन की सरकार ने शुक्रवार को कहा कि मंकीपॉक्स के मामलों की संख्या में वृद्धि के बीच उसने चेचक के ऐसे टीकों की खरीद की कवायद तेज कर दी है, जो इस संक्रमण के प्रसार की रोकथाम कर सके. मंकीपॉक्स भी चेचक जैसा ही संक्रमण है. ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने कहा कि इंग्लैंड में मंकीपॉक्स के 11 और मामले पाये गए हैं, जिसके बाद देश में इस संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 20 तक पहुंच गई है.
ब्रिटेन में मई की शुरुआत में सामने आए थे मंकीपॉक्स के मामले
बता दें कि ब्रिटेन में इस महीने की शुरुआत में मंकीपॉक्स संक्रमण के मामले सामने आए थे. G-7 देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक के दौरान शुक्रवार को ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने कहा कि अधिकतर मामले हल्के संक्रमण के हैं. मैं यह पुष्टि कर सकता हूं कि हमने और अधिक मात्रा में उन टीकों की खरीद की हे जोकि मंकीपॉक्स के खिलाफ प्रभावी हैं.
ब्रिटेन में मंकीपॉक्स संक्रमण के प्रसार का खतरा बेहद कम: यूकेएचएसए
मंकीपॉक्स का संक्रमण बेहद करीबी संपर्क वाले व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है. साथ ही ऐसे व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल कपड़े या चादरों का उपयोग करने से संक्रमण फैल सकता है, जो मंकीपॉक्स संक्रमित है. इस बीच, यूकेएचएसए ने जोर दिया कि ये वायरस आसानी से एक से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैल सकता और ब्रिटेन में मंकीपॉक्स संक्रमण के प्रसार का जोखिम बेहद कम है. यूकेएचएसए की मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ सुसन हॉप्किंस ने कहा कि हम सामने आए मरीजों के करीबी संपर्क वाले लोगों की पहचान कर उन्हें स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के साथ ही उचित परामर्श दे रहे हैं.
मंकीपॉक्स: किन देशों में फैला है संक्रमण
भारत में अभी तक इससे संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है. लेकिन, ब्रिटेन, इटली, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन और अमेरिका में लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं. कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस इस बीमारी के संभावित संक्रमणों की जांच कर रहे हैं, जिनमें मृत्यु दर 10 प्रतिशत हो सकती है. कुल मिलाकर, मंकीपॉक्स के 100 से अधिक संदिग्ध और पुष्ट मामले सामने आए हैं.
मंकीपॉक्स क्या है?
मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है. यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था. मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था. यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है. हैदराबाद के यशोदा अस्पताल में संक्रामक रोगों पर सलाहकार डॉ. मोनालिसा साहू ने कहा कि यह एक दुर्लभ जूनोटिक बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होती है. मंकीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडे परिवार से संबंधित है, जिसमें चेचक और चेचक की बीमारी पैदा करने वाले वायरस भी शामिल हैं.
कैसे फैलता है संक्रमण
मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है. माना जाता है कि यह चूहों, चूहियों और गिलहरियों जैसे जानवरों से फैलता है. यह रोग घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से फैलता है. यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कुछ संक्रमण यौन संपर्क के माध्यम से संचरित हो सकते हैं. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह समलैंगिक या उभयलिंगी लोगों से संबंधित कई मामलों की भी जांच कर रहा है.
मंकीपॉक्स के लक्षण
– विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं.
– रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं. मामले गंभीर भी हो सकते हैं.
– हाल के समय में, मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है.
– संक्रमण के वर्तमान प्रसार के दौरान मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है.
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