दुनिया का सबसे महंगा फाइटर हेलमेट! कीमत इतना की खरीद लेगें लग्जरी फ्लैट

Most Expensive Fighter Jets Helmet: F-35 Lightning II के लिए बना दुनिया का सबसे महंगा हेलमेट तकनीक और सुरक्षा का बेहतरीन उदाहरण है. करीब 3.3 करोड़ रुपये की लागत वाला यह हेलमेट पायलट को 360 डिग्री व्यू, नाइट विजन और वर्चुअल डिस्प्ले जैसी सुविधाएं देता है. इसे Rockwell Collins और Elbit Systems ने मिलकर विकसित किया है.

By Ayush Raj Dwivedi | May 17, 2025 3:04 PM
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Most Expensive Fighter Jets Helmet: दुनिया के सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट में शामिल F-35 Lightning II को उड़ाना सिर्फ एक मिशन नहीं, एक हाई-टेक ऑपरेशन होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस फाइटर जेट के पायलट द्वारा पहना जाने वाला हेलमेट भी उतना ही खास और दुनिया का सबसे महंगा हेलमेट है?

कितनी है कीमत?

F-35 का इस्तेमाल करने वाले पायलट का हेलमेट कोई साधारण हेलमेट नहीं है. इसकी कीमत करीब 3.3 करोड़ रुपये (लगभग 400,000 डॉलर) है. इतनी कीमत में अमेरिका के मियामी या फ्लोरिडा में एक आलीशान घर खरीदा जा सकता है या फिर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से चार साल की डिग्री ली जा सकती है!

किसने बनाया यह हेलमेट?

इस हाई-टेक हेलमेट को अमेरिकी कंपनियों Rockwell Collins और Elbit Systems of America ने मिलकर डिजाइन और विकसित किया है. यह खासतौर पर F-35 Lightning II फाइटर जेट के लिए बनाया गया है और इसे Gen III HMDS (Helmet Mounted Display System) कहा जाता है.

क्या है इसकी खासियत?

हेलमेट में लगे छह इन्फ्रारेड कैमरों की मदद से पायलट विमान के चारों ओर देख सकता है यहां तक कि विमान के नीचे भी!

वर्चुअल हेड- अप डिस्प्ले: हेलमेट में ऐसी स्क्रीन होती है, जो सीधे पायलट की आंखों के सामने फ्लाइट और युद्ध से जुड़ी अहम जानकारियां दिखाती है.

नाइट विजन: अंधेरे में भी पायलट को हर वस्तु स्पष्ट दिखती है, जिससे रात में ऑपरेशन आसान हो जाता है.

इंटीग्रेटेड ऑडियो सिस्टम: पायलट को हर दिशा से आने वाली आवाज़ें साफ़ और तेज़ी से सुनाई देती हैं, जिससे वह तेजी से निर्णय ले पाता है.

क्या है S-400 एयर डिफेंस सिस्टम?

S-400 एक अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम है जिसे रूस ने विकसित किया है. इसे दुनिया के सबसे प्रभावशाली और भरोसेमंद रक्षा सिस्टमों में गिना जाता है. भारत ने 2018 में रूस से 35,000 करोड़ रुपये के सौदे के तहत इसके पांच स्क्वॉड्रन खरीदे थे. चीन और पाकिस्तान की ओर से संभावित खतरों को देखते हुए इन्हें भारत की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर तैनात किया गया है.

यह सिस्टम एक बार में 72 मिसाइलें दागने की क्षमता रखता है और माइनस 50 से लेकर 70 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में भी कार्य करने में सक्षम है. इसका रडार सिस्टम 600 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन की गतिविधियों को ट्रैक कर सकता है और 400 किलोमीटर की रेंज में किसी भी टारगेट को खत्म कर सकता है.

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