‘बीदरी कला युक्त फूलदान’ विशुद्ध रूप से एक भारतीय नवाचार
उन्होंने कहा कि यह ‘बीदरी कला युक्त फूलदान’ विशुद्ध रूप से एक भारतीय नवाचार है, जो कर्नाटक में मैसुरू के समीप स्थित शहर बीदर की विशेषता है. यह जस्ता, तांबा और अन्य अलौह धातुओं के मिश्रण से बना होता है. इस पर शुद्ध चांदी के तारों से सुंदर पच्चीकारी उत्कीर्ण की जाती है. उन्होंने कहा कि इसके बाद ढलाई को बीदर किले की विशेष मिट्टी से तैयार मिश्रित घोल में भिगोया जाता है, जिसमें विशेष ऑक्सीकरण गुण होते हैं. उन्होंने कहा कि इससे जस्ता मिश्रित धातु चमकदार काले रंग में बदल जाती है और चांदी की पच्चीकारी काले रंग की पृष्ठभूमि के साथ बेहद खूबसूरत लगती है.
उपहार में चांदी की ‘नक्काशी’
इस उपहार में चांदी की ‘नक्काशी’ भी थी, जिसके पैटर्न पहले कागज पर खींचे जाते हैं और फिर चांदी की चादरों पर स्थानांतरित किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि नगा शॉल, वस्त्र कला का एक उत्कृष्ट रूप है जो भारत के पूर्वोत्तर भाग में नगालैंड में जनजातियों द्वारा सदियों से बुनी जाती रही है. ये शॉल अपने जीवंत रंगों, सघन डिजाइन और पारंपरिक बुनाई तकनीकों के उपयोग के लिए जानी जाती हैं. अधिकारियों ने कहा कि प्रत्येक नगा शॉल एक अनूठी कहानी बताती है, जो जनजाति के इतिहास, मान्यताओं और जीवन के तरीके को दर्शाती है. नरेंद्र मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा को मध्य प्रदेश की गोंड पेंटिंग उपहार में दी.
गोंड पेंटिंग सबसे लोकप्रिय आदिवासी कलाकृतियों में से एक
अधिकारियों ने कहा कि गोंड पेंटिंग सबसे लोकप्रिय आदिवासी कलाकृतियों में से एक हैं. उन्होंने कहा कि बिंदुओं एवं रेखाओं द्वारा बनाए गए ये चित्र, गोंड समुदाय की दीवारों और फर्श पर चित्रात्मक कला का एक हिस्सा रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने यूनान के प्रधानमंत्री को छत्तीसगढ़ की मशहूर डोरा कलाकृति भेंट की. अधिकारियों ने बताया कि ये भारत के प्रागैतिहासिक काल की एक कला विधा है. इस प्राचीन कला की प्रारंभिक अभिव्यक्तियों में से एक है नाचती हुई लड़की, जिसकी कलाकृति मोहनजो-दारो और हड़प्पा की खुदाई से मिली थी.
यूनान के प्रधानमंत्री की पत्नी को मेघालय का एक शॉल भेंट किया
प्रधानमंत्री मोदी ने यूनान के प्रधानमंत्री की पत्नी को मेघालय का एक शॉल भेंट किया. मेघालय की शॉल का इतिहास सदियों पुराना है. ये मूल रूप से खासी और जैंतिया राजघराने के लिए बुने जाते थे. इन शॉल को राजघराने की ताकत और प्रतिष्ठा से जोड़ कर देखा जाता था. उन्होंने बताया कि इन शॉल को खास मौकों और त्योहारों पर ओढ़ा जाता था और उसमें उकेरी गई डिजाइन तथा उसमें इस्तेमाल किए गए जीवंत रंग राजघरानों की समृद्धि तथा प्रतिष्ठा को दर्शाते थे.