लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद शुक्रवार एक और झड़प की खबर सामने आइ. अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बीते शुक्रवार को भारत और चीन के सैनिकों के बीच आमने-सामने का संघर्ष हुआ. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों ने तवांग सेक्टर में नौ दिसंबर को एलएसी पार करने की कोशिश की. इसका भारतीय सैनिकों ने पूरी ताकत से जवाब दिया। इस दौरान हुए संघर्ष में दोनों पक्षों के करीब 30 सैनिक घायल हुए। घायलों में ज्यादा संख्या चीनी सैनिकों की बताई जा रही है. गंभीर रूप से जख्मी छह भारतीय सैनिकों का गुवाहाटी के 151 बेस अस्पताल में इलाज चल रहा है. एलएसी पर हुई इस झड़प के तुरंत बाद भारत और चीन के तवांग सेक्टर के सैन्य कमांडरों के बीच सीमा पर शांति बहाली के लिए फ्लैग मीटिंग भी हुई. न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से कहा- भारतीय सेना ने चीन की घुसपैठ का करारा जवाब दिया. इस घटना में चीनी फौज को भारतीय सेना से काफी ज्यादा नुकसान हुआ. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 17 हजार फीट की ऊंचाई पर यह झड़प हुई. चीन के 300 सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सैनिक इस तरह की हरकत के लिए पहले से ही तैयार थे. घटना के बाद कमांडर लेवल की बातचीत हुई और दोनों ही पक्षों के जवान वहां से हट गए. इस क्षेत्र में दोनों सेनाएं कुछ हिस्सों पर अपना-अपना दावा ठोकती आई हैं. 2006 से यह विवाद जारी है. पूरे इस मामले में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में जानकारी दी कि 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में पीएलए के सैनिकों ने अतिक्रमण किया और यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया. इस प्रयास का हमारे सैनिकों ने दृढ़ तरीके से सामना किया. हमारे सैनिकों ने बहादुरी से पीएलए को हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें अपनी पोस्ट पर वापस जाने के लिए मजबूर किया.
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