Space: व्यापक रूप से मनाया जायेगा राष्ट्रीय स्पेस दिवस

इस बार 23 अगस्त को आयोजित होने वाले स्पेस दिवस कार्यक्रम को भव्य और व्यापक बनाने के लिए व्यापक रोडमैप को लेकर चर्चा की गयी. जिसमें देश के स्पेस क्षेत्र को आगे बढ़ाने में योगदान देने वाले लोगों की विरासत को जनमानस तक पहुंचाया जायेगा.

By Anjani Kumar Singh | July 21, 2025 9:13 PM
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Space: देश का स्पेस सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है. इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन(इसरो) की पहचान वैश्विक स्तर पर प्रमुख संगठन के तौर पर बन चुकी है. स्पेस क्षेत्र के प्रति युवाओं को आकर्षित करने के लिए सरकार स्पेस दिवस का आयोजन करती है. इस बार 23 अगस्त को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस(स्पेस दिवस) कार्यक्रम को भव्य और व्यापक बनाने की तैयारी की जा रही है, जिसके तहत इस बार का आयोजन विभिन्न मंत्रालयों के सहयोग से किया जायेगा. 

सोमवार को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह और केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच आने वाले स्पेस दिवस कार्यक्रम के व्यापक रोडमैप को लेकर चर्चा हुई. बैठक में तय किया गया कि भारत की स्पेस यात्रा की सफलता में कैसे छात्रों, वैज्ञानिक समुदाय और आम लोगों को भागीदार बनाया जाए. देश के स्पेस क्षेत्र को आगे बढ़ाने में योगदान देने वाले लोगों की विरासत को जनमानस तक पहुंचाना जरूरी है.

चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग की याद में मनाया जाता है

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 23 अगस्त को मनाया जाता है, जो चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की याद में मनाया जाता है. इस दिन, भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग की थी, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी. इस दिन को मनाने का उद्देश्य भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान में उपलब्धियों का सम्मान करना और युवा पीढ़ी को विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना है. पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 23 अगस्त, 2024 को मनाया गया था.

मौजूदा समय में स्पेस क्षेत्र की तरक्की आम जनमानस के जीवन को प्रभावित कर रही है. ऐसे में देश के लोगों को स्पेस क्षेत्र की महत्ता और भारत को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाने वाले लोगों के संघर्ष और उनके योगदान से परिचित कराना जरूरी है. 


गवर्नेंस की बेहतरी के लिए आधुनिक स्पेस तकनीक जरूरी

भारत की पुरातन संस्कृति के लिए स्पेस और विज्ञान नया नहीं है. पूर्वजों को एस्ट्रोनॉमी की गहरी समझ थी और मौजूदा समय में भारत स्पेस क्षेत्र में वैश्विक पहचान बना चुका है. बैठक में एस्ट्रोनॉमी को लेकर पुरातन ज्ञान और आधुनिक तकनीक को लेकर व्यापक चर्चा की गयी. इसमें कहा गया है कि अंतरिक्ष को लेकर देश की पुरातन समझ ही मौजूदा स्पेस तकनीक का आधार है. 


बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से स्पेस क्षेत्र को लेकर शैक्षणिक सामग्री और इस क्षेत्र में देश की प्रगति को लेकर प्रदर्शनी का आयोजन किया जायेगा. प्रदर्शनी में भारत की पुरातन ज्ञान से लेकर आधुनिक तकनीक को दर्शाने का काम होगा.

सरकार स्पेस दिवस कार्यक्रम को छात्रों के हित से जोड़ना चाहती है. इस दौरान विज्ञान मेला, इसरो वैज्ञानिकों के साथ संवाद कार्यक्रम, स्पेस से जुड़ी प्रतियोगिता और अन्य कार्यक्रम का आयोजन स्कूल और कॉलेज स्तर पर होगा. संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि इस कार्यक्रम का मकसद बच्चों में कम उम्र में ही वैज्ञानिक सोच विकसित करना है.

स्पेस दिवस का मकसद युवाओं को भविष्य के अंतरिक्ष यात्री के लिए तैयार करना है. गौरतलब है कि मौजूदा समय में स्वामित्व योजना में भी स्पेस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. इसके अलावा मौसम पूर्वानुमान, आपदा चेतावनी के लिए भी स्पेस तकनीक का महत्व काफी बढ़ गया है. 

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