जम्मू-कश्मीर : NIA ने हिज्बुल चीफ सैयद सलाहुद्दीन के बेटे की संपत्ति किया कुर्क

हिज्बुल मुजाहिद्दीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन वर्ष 1993 में पाकिस्तान भाग गया था. इसके बाद अक्टूबर, 2020 में केंद्र सरकार की ओर से उसे आतंकवादी घोषित किया गया था. फिलहाल, वह पाकिस्तान में बैठकर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने में लगा हुआ है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 24, 2023 7:05 PM
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नई दिल्ली : आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए सोमवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एएनआई) ने सोमवार को खूंखार आतंकवादी और हिज्बुल मुजाहिद्दीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के बेटों की दो संपत्तियों को कुर्क किया है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, एनआईए ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर में सैयद सलाहुद्दीन के बेटे शाहिद यूसुफ और सैयद अहमद शकील की अचल संपत्तियों को जब्त किया है. उनकी ये संपत्तियां जम्मू-कश्मीर के बडगाम और नर्सिंग गढ़ जिले के बडगाम सोइबुग तहसील के मोहल्ला राम बाग स्थित है.

तिहाड़ में बंद हैं सलाहुद्दीन के दोनों बेटे

एनआईए की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि हिज्बुल मुजाहिद्दीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के दोनों बेटे शाहिद यूसुफ और सैयद अहमद शकील की अचल संपत्तियां यूए (पी) अधिनियम की धारा 33 (1) के तहत कुर्क की गई हैं. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कुख्यात आतंकवादी सैयद सलाहुद्दीन के दोनों बेटे क्रमश: अक्टूबर, 2017 और अगस्त 2018 में गिरफ्तार किए गए थे और फिलहाल वे दोनों दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं. इन दोनों के खिलाफ सैयद सलाहुद्दीन के सहयोगियों और हिज्बुल मुजाहिदीन के सक्रिय कार्यकर्ताओं से विदेशों से धन प्राप्त (टेरर फंडिंग) करने का आरोप है. इस मामले में आरोप पत्र दायर किया गया था.

1993 में पाकिस्तान भाग गया था सलाहुद्दीन

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हिज्बुल मुजाहिद्दीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन वर्ष 1993 में पाकिस्तान भाग गया था. इसके बाद अक्टूबर, 2020 में केंद्र सरकार की ओर से उसे आतंकवादी घोषित किया गया था. फिलहाल, वह पाकिस्तान में बैठकर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने में लगा हुआ है. मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में वह यूनाइटेड जिहाद काउंसिल (यूजेसी) नामक आतंकवादी संगठन बना लिया है, जिसे मुत्ताहिदा जिहाद काउंसिल (एमजेसी) के नाम से भी जाना जाता है.

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2011 में दिल्ली पुलिस ने दर्ज किया था केस

मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने नवंबर, 2011 ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी ग्रुपों और उनके सहयोगियों को आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने और फंडिंग करने के मामले में आपराधिक साजिश की जांच शुरू की थी. रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जनवरी 2011 में एक मामला दर्ज किया था, जिसे बाद में एनआईए ने अपने हाथ में ले लिया था. इस मामले में वर्ष 2011 से लेकर 2018 के दौरान आठ आरोप पत्र और पूरक आरोप पत्र दाखिल किए गए थे.

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