Operation Sindoor: कई स्वदेशी हथियारों का हुआ इस्तेमाल, यह आत्मनिर्भर भारत का युद्ध
Operation Sindoor: भारत-पाकि युद्ध में कई स्वदेशी हथियारों का इस्तेमाल हुआ. इसकी वजह से यह युद्ध आत्मनिर्भर भारत का युद्ध बन गया. डीआरडीओ के पूर्व अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने कहा है कि यह युद्ध एक आत्मानिर्भर-आधारित युद्ध था. डीआरडीओ और उद्योग दोनों ने एंटी-ड्रोन सिस्टम विकसित किया, जिसका बहुत सफलतापूर्वक उपयोग किया गया. ब्रह्मोस मिसाइल का उपयोग बहुत प्रभावी, सटीक और विश्वसनीय हथियार के रूप में किया गया था.
By Mithilesh Jha | May 11, 2025 8:07 PM
Operation Sindoor: भारत-पाकिस्तान के बीच 3 दिन तक चले युद्ध के दौरान कई स्वदेशी हथियारों का इस्तेमाल हुआ. यह युद्ध आत्मनिर्भर भारत का युद्ध था. ये बातें डीआरडीओ के पूर्व अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने रविवार को हैदराबाद में कहीं. उन्होंने कहा कि इस युद्ध में कई स्वदेशी आधारित तकनीकों का इस्तेमाल किया गया. यह युद्ध एक आत्मानिर्भर-आधारित युद्ध था.
‘डीआरडीओ विकसित एंटी-ड्रोन सिस्टम का हुआ सफल उपयोग’
जी सतीश रेड्डी ने कहा कि डीआरडीओ और उद्योग दोनों द्वारा विकसित एंटी-ड्रोन सिस्टम का बहुत सफलतापूर्वक उपयोग किया गया था, क्योंकि बड़ी संख्या में ड्रोन आ रहे थे. ब्रह्मोस मिसाइल का उपयोग एक बहुत प्रभावी, सटीक और विश्वसनीय हथियार के रूप में किया गया था.
#WATCH | Hyderabad | DRDO Former Chairman, G.Satheesh Reddy says, "Many indigenous based technologies were used in this war and this war was an atmanirbhar-based warfare… The anti-drone systems which developed both by DRDO and industry were very successfully used as huge number… pic.twitter.com/apNKt46qt3
उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को इसके विकास के दौरान और फिर बाद में परीक्षणों के दौरान इस पर अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया गया था. इसकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी. जी सतीश रेड्डी ने कहा, ‘इसलिए मुझे लगता है कि आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हैं. राजनाथ सिंह ने हर साल ब्रह्मोस की 100-150 मिसाइलें बनाने के लिए लखनऊ में एक केंद्र का उद्घाटन किया है.’