Operation Sindoor: ये 9 ठिकाने क्यों थे भारत के निशाने पर, पढ़िए ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति की पूरी कहानी

Operation Sindoor: इस ऑपरेशन को "ऑपरेशन सिंदूर" नाम दिया गया और इसे थल सेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त योजना और कार्रवाई के तहत अंजाम दिया गया. भारत ने खास तौर पर यह स्पष्ट किया है कि उसने इस हमले के दौरान किसी भी पाकिस्तानी सेना की चौकी या सैन्य बेस को टारगेट नहीं किया, केवल आतंकियों के अड्डों को ही खत्म किया गया

By Abhishek Pandey | May 7, 2025 9:04 AM
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Operation Sindoor: भारत ने 7 मई की सुबह-सुबह आतंक के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) में मौजूद कुल 9 आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक कर दी. यह जवाब उस कायराना हमले के बाद दिया गया है, जिसमें पहलगाम में 25 भारतीय नागरिक और एक नेपाली नागरिक की जान गई थी.

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इस ऑपरेशन को “ऑपरेशन सिंदूर” नाम दिया गया और इसे थल सेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त योजना और कार्रवाई के तहत अंजाम दिया गया. भारत ने खास तौर पर यह स्पष्ट किया है कि उसने इस हमले के दौरान किसी भी पाकिस्तानी सेना की चौकी या सैन्य बेस को टारगेट नहीं किया, केवल आतंकियों के अड्डों को ही खत्म किया गया.

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भारत ने जिन 9 ठिकानों को निशाना बनाया, उनमें से:

  • 5 PoJK (पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर) में स्थित हैं
  • 4 पाकिस्तान के भीतर, जिनमें बहावलपुर, मुरिदके, और सियालकोट जैसे इलाके शामिल हैं.

सबसे बड़ी बात यह रही कि भारतीय फाइटर जेट्स पाकिस्तान की सीमा में 100 किलोमीटर से ज्यादा अंदर तक घुसे और बहावलपुर तक जाकर एयरस्ट्राइक की.

आख़िर इन्हीं 9 ठिकानों को क्यों चुना गया

1.बहावलपुर (पाकिस्तान) – जैश का गढ़: बहावलपुर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है और यह जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का हेडक्वार्टर माना जाता है. मसूद अजहर, जो जैश का सरगना है, यहीं पनाह लिए हुए है. यह वही संगठन है जिसने पुलवामा जैसे हमलों की साजिश रची थी. भारत की खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यहां से आतंकी हमलों की योजना बनाई जाती है, आतंकियों को फंडिंग दी जाती है और उनका ब्रेनवॉश कर उन्हें भारत भेजा जाता है. इस कारण यह ठिकाना सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य था.

2.मुरिदके (पाकिस्तान) – लश्कर-ए-तैयबा का संचालन केंद्र: मुरिदके लाहौर के पास स्थित है और इसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मुख्यालय माना जाता है. यहीं से 2008 के मुंबई हमलों की रणनीति बनी थी. हाफिज सईद जैसे खूंखार आतंकी का यह बेस पिछले दो दशकों से सक्रिय है. इस ठिकाने पर आतंकियों की ट्रेनिंग, रिक्रूटमेंट और भारत-विरोधी एजेंडा चलाया जाता है. भारत ने इस बार मुरिदके को सीधे निशाने पर लेकर आतंक के नेटवर्क को सीधा संदेश दिया.

3.सियालकोट (पाकिस्तान) – हिजबुल्ला और JeM की जुगलबंदी: सियालकोट अंतरराष्ट्रीय सीमा के काफी नजदीक है और यहां हिजबुल्ला और जैश-ए-मोहम्मद दोनों के संयुक्त ट्रेनिंग कैम्प मौजूद हैं. यहां से कठुआ, सांबा और जम्मू के इलाकों में घुसपैठ कराने की कोशिशें की जाती रही हैं. इस लोकेशन को टारगेट कर भारत ने उन रूट्स को ब्लॉक करने की कोशिश की है, जिनसे आतंकियों को जम्मू क्षेत्र में भेजा जाता है.

4.सरजाल और 5. महमूना (पाकिस्तान): सरजाल, सांबा और कठुआ के बहुत नजदीक है. यह जैश के फील्ड ऑपरेशन के लिए तैयार किए गए आतंकियों को भारत में भेजने का प्रमुख लॉन्चिंग बेस रहा है. वहीं महमूना में हिजबुल्ला का ट्रेनिंग कैंप चलाया जा रहा था. ये दोनों जगहें रणनीतिक दृष्टि से अहम थीं क्योंकि ये सामान्य नागरिक इलाकों के करीब थीं और घुसपैठ आसान हो सकती थी.

6. गुलपुर (PoJK) – आतंकी लॉजिस्टिक्स हब: गुलपुर LoC के करीब स्थित है और PoJK के भीतर सबसे सक्रिय आतंकी ठिकानों में से एक है. यहां पर जैश और लश्कर के कॉमन ऑपरेटिंग बेस हैं जहां हथियार जमा किए जाते हैं, आतंकियों की लॉजिस्टिक्स और मूवमेंट की योजना बनाई जाती है. यह इलाका भारत के पुंछ और राजौरी में आए दिन होने वाली आतंकी घटनाओं से जुड़ा हुआ है.

7. सवाई (PoJK – तंगधार सेक्टर) – कश्मीर घाटी का गेटवे: तंगधार सेक्टर से सटी सवाई घाटी LoC के बेहद करीब है. यहां आतंकियों को विशेषत: गांदरबल, गुलमर्ग और पहलगाम जैसे पर्यटन स्थलों पर हमला करने के लिए तैयार किया जाता था. हाल में पहलगाम में जो बस पर हमला हुआ, उसकी ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक्स इसी ठिकाने से जुड़े हुए थे.

8. बिलाल (PoJK) – घुसपैठ की लॉन्चिंग साइट: बिलाल गांव में जैश का एक स्थायी लॉन्चपैड सक्रिय था जहां से प्रशिक्षित आतंकियों को सीमाओं पर भेजा जाता था. यहां टेक्निकल और शारीरिक ट्रेनिंग दी जाती थी और बाद में आतंकियों को घुसपैठ के लिए रवाना किया जाता था. भारत के मुताबिक, यह जगह सर्जिकल स्ट्राइक 2.0 के बाद भी सक्रिय बनी हुई थी.

9. कोटली (PoJK) – लश्कर का सुरक्षित ठिकाना: कोटली LoC से सिर्फ 15 किलोमीटर दूर है और वहां लश्कर-ए-तैयबा का बड़ा बेस था. यहां लगभग 50 आतंकी मौजूद थे जो राजौरी और पुंछ में बड़े हमले की योजना बना रहे थे. खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, ये आतंकी जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर फिर से हमला करने की फिराक में थे.

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