सपनों की शुरुआत मौत पर खत्म हो जाएगी, कभी सोचा नहीं था’, शहीद की पत्नी का दर्द

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम के बैसरन में मंगलवार को हुए आतंकी हमले से पूरा देश सदमे में है. इस हमले में भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाला की मौत हो गई है. जिसके बाद बुधवार को उनके पार्थिव शरीर को घर लाया गया, जहां पूरे रीति-रिवाजों के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.

By Neha Kumari | April 24, 2025 9:18 AM
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Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में घूमने गए पर्यटकों पर मंगलवार को आतंकी हमला हुआ था. इस हमले में करीब 26 लोग मारे गए थे. मारे गए लोगों में एक नाम भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाला का भी था. मुश्किल से अभी इनकी शादी हुए एक हफ्ता भी नहीं बीता था जब यह हादसा हुआ. जिंदगी भर अपने पति के साथ रहने का सपना देख रही विनय की पत्नी हिमांशी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके हनीमून का सफर इस तरह खत्म होगा.

शादी का एक सप्ताह भी नहीं हुआ था

भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय ने अपनी शादी और जन्मदिन के लिए 40 दिनों की छुट्टी ली थी. 4 अप्रैल को उनकी सगाई हुई, 16 अप्रैल को शादी, 19 अप्रैल को रिसेप्शन, 21 अप्रैल को दोनों जम्मू-कश्मीर हनीमून के लिए गए और 23 को विनय का करनाल में अंतिम संस्कार किया गया. देखते ही देखते इस नवविवाहित जोड़े के सारे सपने आतंकियों ने खत्म कर डाले.

कैसे हुई यह घटना?

आतंकी हमले के बाद जो तस्वीरें सामने आईं, उसने सबका दिल दहला दिया. बैसरन वैली की हरी-भरी जमीन पर विनय की लाश पड़ी था, उसके पास में हिमांशी गुमसुम बैठी थी, उसके नजदीक एक बैग उल्टा पड़ा था. हमले के बारे में बात करते हुए हिमांशी बताती हैं कि वह अपने पति के साथ बैठकर भेलपुरी खा रही थी, तभी अचानक से उनके पास एक आदमी आता है. वह विनय से पूछता है कि क्या वह मुस्लिम हैं. जब विनय कहते हैं कि वह मुस्लिम नहीं हैं, तब आदमी उन पर गोली चला देता है.

घर में अभी तक शादी की सजावट, लेकिन अब मातम

करनाल के सेक्टर-7 में स्थित विनय के घर अभी तक शादी की सजावट लगी हुई है. बुधवार को जैसे ही विनय का शव उनके घर पहुंचा, वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं. विनय के घर के बाहर लोगों की भीड़ जमा हो गई. लोगों ने भारत माता की जय और विनय नरवाला अमर रहे के नारे लगाए. उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री भी पहुंचे. फूट-फूट कर रोते हुए विनय की दादी ने कहा, “उसने हमेशा सेना में जाने का सपना देखा था.” हिमांशी के पिता ने कहा, “कुछ दिनों पहले ही मैंने अपनी बेटी के हाथों में चूड़ा पहनाया था और उसे इस हालत में देख रहा हूं. मेरे पास शब्द नहीं हैं, मैं अपनी बेटी से क्या कहूं.”

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