Patanjali Advertisement Case: समाचार पत्रों में माफीनामा प्रकाशित कराया, सुप्रीम कोर्ट में बोले बाबा रामदेव
Patanjali Advertisement Case: भ्रामक विज्ञापन मामले पर आज सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से सवाल किया.
By Amitabh Kumar | April 23, 2024 12:03 PM
Patanjali Advertisement Case: सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले की सुनवाई मंगलवार को हुई. इस दौरान बाबा रामदेव कोर्ट में मौजूद नजर आए. सुनवाई के दौरा शीर्ष कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से कहा कि जब वह पतंजलि पर उंगली उठा रहा है तो चार उंगलियां उन पर उठ रही हैं. योग गुरु रामदेव, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के एमडी बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने समाचार पत्रों में माफीनामा प्रकाशित कराया है.
इसपर कोर्ट ने रामदेव, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के एमडी से अखबारों में प्रकाशित माफीनामे को दो दिनों के भीतर रिकॉर्ड में पेश करने को कहा. बेंच की ओर से सवाल किया गया कि आखिर माफीनाम कल ही क्यों प्रकाशित कराया गया? क्या आपका माफीनाम उतना बड़ा ही छपा है, जितना बड़ा विज्ञापन आप प्रकाशित करवाते हैं.
Supreme Court tells Indian Medical Association that while it is pointing fingers at Patanjali, four fingers are pointing at them.
Your (IMA) doctors also endorsing medicines in the allopathic field. If that's happening, why should we not turn the beam at you (IMA)? asks the… https://t.co/lnvFIeGhre
कोर्ट ने कहा कि एफएमसीजी भी जनता को भ्रमित करने वाले भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने का काम कर रही है. खासकर छोटे बच्चों, स्कूल जाने वाले बच्चों और उनके उत्पादों का उपभोग करने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये नुकसानदायक है, क्योंकि ये इन उत्पादों को यूज करते हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को मामले में पक्षकार बनाने को कहा है. यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्रालय को तीन साल तक भ्रामक विज्ञापनों पर की गई कार्रवाई के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
Patanjali’s misleading advertisements case | Supreme Court saying that FMCGs also publishing misleading ads taking public for a ride, in particular, affecting health of babies, school-going children and senior citizens who have been consuming their products. Court asks licensing…
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि किसी विशेष पार्टी पर सख्ती के लिए यह नहीं है, बल्कि यह उपभोक्ताओं या जनता के व्यापक हित में है कि उन्हें कैसे गुमराह किया जा रहा है. जनता को सच्चाई जानने का उनका अधिकार है.
Supreme Court says it is not here to gun for a particular party, it is in the larger interest of consumers or the public on how they are being misled and their entitlement to know the truth and what steps they can take. https://t.co/dG9BdLxEIl