शंघाई सहयोग संगठन की वर्चुअल बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने अपने 75 साल पूरे किये हैं, लेकिन कई सफलताओं के बावजूद संयुकत राष्ट्र का मूल लक्ष्य अभी अधूरा है. महामारी की आर्थिक और सामाजिक पीड़ा से जूझ रहे विश्व की अपेक्षा है कि यूएन की व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन आये.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक बहुपक्षीय सुधार, जो आज की वैश्विक वास्तविकताओं को दर्शाए, जो सभी हितधारकों की अपेक्षाओं, समकालीन चुनौतियों, और मानव कल्याण जैसे विषयों पर चर्चा करे. इस प्रयास में हमें एससीओ सदस्य राष्ट्रों का पूर्ण समर्थन मिलने की अपेक्षा है.
उन्होंने कहा कि अभूतपूर्व महामारी के इस अत्यंत कठिन समय में भारत के फार्मा उद्योग ने 150 से अधिक देशों को आवश्यक दवाएं भेजी हैं. दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के रूप में भारत अपनी वैक्सीन उत्पादन और वितरण क्षमता का उपयोग इस संकट से लड़ने में पूरी मानवता की मदद करने के लिए करेगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का शांति, सुरक्षा और समृद्धि पर दृढ़ विश्वास है. हमने हमेशा आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, ड्रग्स और मनी लॉन्डरिंग के विरोध में आवाज उठायी है. उन्होंने कहा कि भारत एससीओ चार्टर में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार एससीओ के तहत काम करने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहा है, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एससीओ एजेंडा में बार-बार अनावश्यक रूप से द्विपक्षीय मुद्दों को लाने के प्रयास हो रहे हैं, जो एससीओ चार्टर और संघाई स्पिरिट का उल्लंघन करते हैं. इस तरह के प्रयास एससीओ को परिभाषित करनेवाली सर्वसम्मति और सहयोग की भावना के विपरीत हैं.