PM Modi Trinidad-Tobago Visit : कितने भारतीय रहते हैं त्रिनिदाद और टोबैगो में? जानकर चौंक जाएंगे आप भी

PM Modi Trinidad-Tobago Visit : प्रधानमंत्री मोदी घाना की अपनी दो दिवसीय यात्रा संपन्न करने के बाद गुरुवार को त्रिनिदाद एवं टोबैगो पहुंचे जहां पियार्को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर प्रसाद-बिसेसर ने उनका स्वागत किया. मोदी का औपचारिक स्वागत किया गया और उन्हें ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया. यह प्रधानमंत्री के रूप में उनकी यहां पहली यात्रा है.

By Amitabh Kumar | July 4, 2025 9:20 AM
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PM Modi Trinidad-Tobago Visit : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिनिदाद एवं टोबैगो में भारतीय समुदाय की यात्रा को साहस से भरी बताया और कहा कि उनके पूर्वजों ने ऐसे कष्ट सहे, जो सबसे मजबूत लोगों को भी तोड़ सकते थे. उन्होंने यह बात कोउवा के नेशनल साइक्लिंग वेलोड्रोम में एक सामुदायिक कार्यक्रम में कही. मोदी दो दिवसीय यात्रा पर वहां पहुंचे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच देशों की यात्रा के तहत त्रिनिदाद और टोबैगो के दौरे पर हैं. यह 1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की इस देश की पहली यात्रा है.

करीब 40% आबादी भारतीय मूल

प्रधानमंत्री मोदी की यह ऐतिहासिक यात्रा भारत और त्रिनिदाद एंड टोबैगो के बीच सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए हो रही है. यह दौरा खास इसलिए है क्योंकि इस साल वहां भारतीय मजदूरों के पहली बार पहुंचने की 180वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है. त्रिनिदाद एंड टोबैगो की करीब 40% आबादी भारतीय मूल की है, जिनके पूर्वज 19वीं सदी में वहां आए थे.

कोलंबस ने इस द्वीप का नाम ‘त्रिनिदाद’ क्यों रखा

त्रिनिदाद एक कैरिबियाई देश है, जो कैरिबियन सागर के द्वीपों में स्थित है. कैरिबियाई देशों को सामूहिक रूप से ‘वेस्ट इंडीज’ कहा जाता है. भारत से त्रिनिदाद की दूरी लगभग 13,822 किलोमीटर है. इस द्वीप की खोज प्रसिद्ध खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस ने 1498 में अपने तीसरे समुद्री अभियान के दौरान की थी. कोलंबस ने इसका नाम ‘त्रिनिदाद’ रखा, जो ईसाई धर्म के प्रतीक ‘ट्रिनिटी’ यानी ‘त्रिमूर्ति’ से प्रेरित था. उन्होंने यह नाम तीन पहाड़ियों को देखकर रखा, जो उन्हें ईसाई त्रिमूर्ति की याद दिलाती थीं। यह द्वीप ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है.

गिरमिटिया का जिक्र पीएम मोदी ने किया

भारतीय मूल की प्रतिष्ठित हस्तियों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि गिरमिटिया के वंशज अब संघर्ष से नहीं, बल्कि अपनी ‘‘सफलता, सेवा और मूल्यों’’ से पहचाने जाते हैं. गिरमिटिया ब्रिटिश शासन के दौरान भारत से लाए गए बंधुआ मजदूर थे, जिन्हें फिजी, दक्षिण अफ्रीका, पूर्वी अफ्रीका (विशेष रूप से मॉरीशस, सेशेल्स, तंजानिया, केन्या और युगांडा), मलेशिया, सिंगापुर और कैरेबियाई देशों के बागानों में काम करने के लिए लाया गया था. मोदी ने कहा कि दुनिया भर में गिरमिटिया समुदाय का एक व्यापक डेटाबेस तैयार करने के लिए काम जारी है.

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