विदेश मंत्रालय ने कहा कि जी-7 और अतिथि देशों के नेताओं ने वैश्विक स्वास्थ्य शासन में सुधार की जरूरत पर विस्तृत चर्चा की. भारत वर्तमान महामारी से निबटने से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर जी-20, जी-7 और विश्व स्वास्थ्य सभा के स्तर पर अंतरराष्ट्रीय समुदायों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है.
उन्होंने कहा कि दुनिया में विभिन्न वैक्सीन निर्माण केंद्र के लिए वित्त उपलब्ध कराने की जरूरत पर विभिन्न क्षेत्रीय उत्पादन केंद्रों में इसकी क्षमता बढ़ाने और इन क्षेत्रों में वित्तपोषण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और कौशल प्रदान करने के लिए एक सामान्य समझौता हुआ है.
प्रधानमंत्री मोदी ने दो सत्रों में जलवायु परिवर्तन और खुले समाज पर बात की. जलवायु परिवर्तन पर प्रधानमंत्री ने सामूहिक कार्रवाई का आह्वान करते हुए यह स्वीकार किया कि इस चुनौती को साइलो में संबोधित नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि भारत अपनी पेरिस प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए ट्रैक पर एकमात्र जी-20 देश है.
पी हरीश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुले और लोकतांत्रिक सभी समाज को एक साथ काम करने और एक-दूसरे के हाथों को मजबूत करने के लिए अपने मूल्य की रक्षा करने और बढ़ती चुनौतियों का जवाब देने की जरूरत पर बात की. यह पूछे जाने पर कि क्या चीनी आक्रमण का मुद्दा प्रधानमंत्री द्वारा बैठक के दौरान उठाया गया था, पी हरीश ने कहा कि ”बैठक में यह मुद्दा नहीं उठा. ऐसे अन्य मंच हैं, जहां इस तरह के मुद्दों पर भी चर्चा की जाती है.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने भी अफ्रीका में उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर बल दिया और भारत से वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण उत्पादन केंद्र के रूप में अपनी विशेषज्ञता उधार देने का आह्वान किया. जी-7 समिट में वर्चुअली तौर पर शामिल हुए प्रधानमंत्री शामिल हुए थे.
उन्होंने बताया कि पिछले दो दिनों में चर्चा के तीन व्यापक ट्रैक कोविड-19 से वैक्सीन और रिकवरी, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, खुले समाज और खुली अर्थव्यवस्थाओं पर केंद्रित हैं. यह पहली बार है कि भारत अतिथि देश के रूप में मंत्री और कार्य-स्तर के ट्रैक में लगा है. हमारी भागीदारी फलदायी थी. हम आशा करते हैं कि सीओपी 26 तक की विभिन्न पहलों में हम अपनी भागीदारी को आगे बढ़ायेंगे.