मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने कथित भड़काऊ टिप्पणी से संबंधित मामले में मंगलवार को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी को शहर की पुलिस के समक्ष पेशी से छूट देने के इनकार कर दिया.
न्यायमूर्ति उज्जल भूयन और रियाज चागला की खंडपीठ ने उनसे बुधवार को पुलिस के समक्ष पेश होने को कहा. पीठ प्राथमिकी खारिज करने की उनकी याचिका पर सुनवाई कर रही थी. गोस्वामी के खिलाफ समाचार कार्यक्रम के दौरान एक समुदाय विशेष के खिलाफ भड़काऊ टिप्पणी करने के आरोप में नागपुर और मुंबई में दो प्राथमिकी दर्ज की गई थीं.
यह कार्यक्रम बंद के दौरान बांद्रा रेलवे टर्मिनस के बाहर बड़ी संख्या में प्रवासी कामगारों के जुटने के बारे में था. उनके वकील हरीश साल्वे ने मंगलवार को अनुरोध किया कि याचिका पर सुनवाई लंबित रहने तक उन्हें बुधवार और उसके बाद भी पुलिस के समक्ष पेश होने से छूट दी जाए.
गोस्वामी ने पिछले महीने अपने खिलाफ दायर सभी प्राथमिकियों को रद्द करने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी. न्यायालय ने महाराष्ट्र में दर्ज की गई प्राथमिकियों को खारिज करने से इनकार करते हुए 19 मई को कहा कि वह राहत के लिये बंबई उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं.
मंगलवार को सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने राहत के लिये दायर याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जांच के लिये उनसे पूछताछ जरूरी है. इस पर पीठ ने गोस्वामी को संबंधित पुलिस थाने में बुधवार को पेश होने का निर्देश देते हुए याचिका पर सुनवाई के लिये 12 जून की तारीख तय की.
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इससे पहले अर्णब गोस्वामी को उच्चतम न्यायालय से उस समय आंशिक राहत मिली जब शीर्ष अदालत ने पालघर में दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की भीड़ द्वारा पीट पीट कर हत्या की घटना से संबंधित कार्यक्रम के सिलसिले में नागपुर में दर्ज प्राथमिकी के अलावा शेष सभी मामले रद्द कर दिये लेकिन इसकी जांच सीबीआई को सौंपने से उसने इंकार कर दिया.
नागपुर में दर्ज प्राथमिकी मुंबई स्थानांतरित कर दी गयी थी जिसकी जांच मुंबई पुलिस कर रही है. शीर्ष अदालत ने 11 मई को अपने आदेश में कहा था कि मुंबई पुलिस द्वारा दो मई को दर्ज नयी प्राथमिकी में अर्नब गोस्वामी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.
अपने कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ कुछ कथित मानहानिकारक बयानों के कारण अर्णब गोस्वामी के खिलाफ देश के विभिन्न राज्यों में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थीं. इन प्राथमिकी को निरस्त कराने के लिये उन्होंने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी. गोस्वामी ने अपनी याचिका में दावा किया था कि मुंबई पुलिस ने कथित मानहानिकारक बयानों के सिलसिले में उनसे 12 घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ की थी और इसमें शामिल दो अधिकारियों में से एक अधिकारी में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हुई थी.
posted by – arbind kumar mishra
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