Emergency In India: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गरुवार को अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और उनके द्वारा सदन के भीतर आपातकाल का उल्लेख किए जाने को लेकर आपत्ति दर्ज कराई. राहुल ने कहा, यह कदम राजनीतिक था और इससे बचा जा सकता था.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से राहुल गांधी की और क्या हुई बात
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने संसद भवन में बैठक के बाद कहा कि यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी, जिस दौरान गांधी ने सदन में अध्यक्ष द्वारा आपातकाल का उल्लेख किए जाने का मुद्दा भी उठाया. वेणुगोपाल ने कहा, हमने संसद के कामकाज के बारे में कई चीजों पर चर्चा की. निश्चित तौर पर यह मुद्दा भी उठा. कांग्रेस नेता ने बताया, राहुल जी ने विपक्ष के नेता के रूप में अध्यक्ष को इस मुद्दे के बारे में सूचित किया और कहा कि अध्यक्ष की तरफ से इसे टाला जा सकता था. यह स्पष्ट रूप से एक राजनीतिक संदर्भ था, इसे टाला जा सकता था. लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्यभार संभालने के बाद गांधी की अध्यक्ष के साथ यह पहली बैठक थी. उनके साथ सपा के धर्मेंद्र यादव, द्रमुक की कनिमोझी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की सुप्रिया सुले और तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी के अलावा कुछ अन्य लोग भी थे.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इमरजेंसी पर क्या दिया था बयान
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 1975 में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की निंदा करते हुए बुधवार को एक प्रस्ताव पढ़ा और कहा कि वह कालखंड काले अध्याय के रूप में दर्ज है जब देश में तानाशाही थोप दी गई थी, लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया था और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट दिया गया था. इस दौरान सदन में कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा और नारेबाजी की.
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