Railway: यात्री सुविधा और सुरक्षा के लिए रेलवे आधुनिक तकनीक का करेगा इस्तेमाल

यात्री सुविधा को बेहतर करने और रेल पटरियों के रखरखाव में तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए रेलवे और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड मिलकर काम करेंगे. इस बाबत गुरुवार को रेलवे और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के बीच रेल पटरियों की निगरानी करने के लिए मशीन विजन आधारित इंस्पेक्शन सिस्टम(एमवीआईएस) लगाने काे लेकर एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया.

By Anjani Kumar Singh | July 10, 2025 7:57 PM
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Railway: रेलवे, यात्री सुविधा और सुरक्षा को लेकर लगातार कदम उठा रहा है. यात्री सुविधा को बेहतर करने और रेल पटरियों के रखरखाव में तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए रेलवे और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड मिलकर काम करेंगे. इस बाबत गुरुवार को रेलवे और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के बीच रेल पटरियों की निगरानी करने के लिए मशीन विजन आधारित इंस्पेक्शन सिस्टम(एमवीआईएस) लगाने काे लेकर एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया. 

यह समझौता रेलवे बोर्ड के(प्रोजेक्ट एंड डेवलपमेंट) निदेशक सुमित कुमार और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक जवाहर लाल ने हस्ताक्षर किया. इस दौरान रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे. समझौते के तहत डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड चार एमवीआईएस यूनिट की खरीद, आपूर्ति, टेस्टिंग और लगाने का काम करेगा. इस तकनीक से ट्रेन संचालन की सुरक्षा बढ़ेगी और इससे ट्रेन हादसों को रोकने में मदद मिलेगी. 


क्या है तकनीक की खासियत

एमवीआईएस तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग पर आधारित एक आधुनिक तकनीक है. इस तकनीक के जरिये ट्रेन चलने के दौरान पटरियों के नीचे उच्च क्षमता वाली फोटो ली जाती है. इससे पटरियों में किसी तरह की खामी का पता लगाया जाता है. किसी तरह की खामी का पता होने पर रियल टाइम में अलर्ट जारी हो जाता है. इससे अधिकारियों को तय समय में पटरियों में किसी तरह की गड़बड़ी को दूर करने में मदद मिलती है. रेलवे यात्री सुविधा और सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक का व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल करने की कार्ययोजना पर काम कर रहा है. 

इस समझौते का मकसद रेलवे सुरक्षा में अधिक से अधिक डिजिटल तकनीक का प्रयोग करना है ताकि भारतीय रेलवे भविष्य के लिए तैयार हो सके. गौरतलब है कि इस तकनीक का विकास स्टार्टअप कंपनी एलएम2रेल ने किया है, जिसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु से मदद मिली है. पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसे वर्ष 2023 में अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पर लगाया गया. जून 2023 से अक्टूबर 2024 के दौरान इस तकनीक ने 13189 ट्रेन, 1279477 वैगन की जांच की और 21287 खामियों को पकड़ा. इसकी सफलता के बाद इसे पूरे रेलवे नेटवर्क पर लागू करने की तैयारी है. 

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