केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू पर हमला किया है. सोमवार रिजिजू ने दावा किया कि पाकिस्तानी हमले के बाद वह मामले को गलत अनुच्छेद के तहत संयुक्त राष्ट्र ले गये जिसने पड़ोसी देश को आक्रांता की जगह एक पक्षकार बना दिया. उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू प्रधान मंत्री होते हैं और वे गलत निर्णय लेने वाले व्यक्ति होते हैं. कांग्रेस पार्टी ने यह कहकर एक झूठा आख्यान बनाया था कि यह महाराजा हरि सिंह थे जिन्होंने कश्मीर के भारत में विलय की प्रक्रिया को रोका.
वहीं, जवाहरलाल नेहरू के बारे में अपने लेख पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू हमारे पहले प्रधानमंत्री थे, इसलिए हम सभी को उनका सम्मान करना होगा. लेकिन उनके कुछ फैसलों ने देश को दर्द और पीड़ा दिया है. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस मेरे लेख की आलोचना कर रही है तो इसका मतलब है कि वो नेहरू जी की आलोचना कर रही हैं. मैंने अपने आप कुछ भी उल्लेख नहीं किया है, यह इतिहास का हिस्सा है और आधिकारिक दस्तावेजों का हिस्सा है.
केंद्रीय मंत्री ने एक ट्वीट कर कहा कि ‘भारत में शामिल होने के महाराजा हरि सिंह के अनुरोध को नेहरू जी ने एक बार नहीं बल्कि तीन बार खारिज कर दिया था. अरुणाचल प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी के सांसद ने हरि सिंह के पुत्र कर्ण सिंह पर भी हमला बोला और कहा कि उन्होंने एक ‘संतुष्टिजनक इतिहास’ को पेश किया और शब्दों के जाल में बातों को उलझाते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री को मामले से मुक्त कर दिया.
कानून मंत्री ने एक न्यूज चैनल के लिये लिखे अपने लेख में जवाहरलाल नेहरू पर यह हमला किया है. रीजीजू ने लिखा ‘जवाहरलाला नेहरू को जून 1947 में ही इस बात की जानकारी थी कि हरि सिंह भारत में शामिल होना चाहते हैं.
भाषा इनपुट के साथ
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